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चुनाव में काँटे की टक्कर-प्रियंका

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नई दिल्ली (भाषा) , शनिवार, 2 मई 2009 (11:29 IST)
लोकसभा चुनाव के पाँच चरणों में से तीन पूरे होने के बीच प्रियंका गाँधी वढेरा ने कहा कि वर्तमान चुनावी प्रक्रिया बहुत अनिश्चित-सी बनी हुई है।

प्रियंका ने 'आउटलुक पत्रिका' को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मेरा मानना है कि यह बहुत अनिश्चित है। अनिश्चित इन अर्थों में कि काँटे की टक्कर बनी हुई है। हमें केवल इंतजार करना है और देखना है। यह उन दुर्लभ चुनावों में से है, जब कोई नहीं जानता या महसूस करता कि नतीजे क्या होंगे।

उन्होंने 2004 के और वर्तमान चुनावों में लोगों की मन:स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि पिछले चुनाव में मन:स्थिति यह थी कि भाजपा सत्ता में वापसी करने जा रही है। मेरा मानना है कि इस चुनाव में वास्तव में क्या होगा, कहना कठिन है।

राजनीति में आने के मामले में प्रियंका ने कहा कि जब लोग मुझसे राजनीति में आने की बात पूछते हैं तो वे मुझसे पूछते हैं कि मैं चुनाव के लिए क्यों खड़ी नहीं हो रही या और अधिक सहभागिता क्यों नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि यदि वे राजनीति में आएँगी तो उनकी जिंदगी सामान्य नहीं रह सकेगी।

प्रियंका ने कहा इस स्थिति में मैं भले ही सहज दिखती हूँ लेकिन मेरा एक पहलू यह भी है कि मेरे शेष जीवन के लिए इसे चुनने पर मैं बहुत असहज हो जाऊँगी।

प्रियंका ने राजनीति से अलग एक माँ के तौर पर अपनी भूमिका के बारे में बताया कि व्यस्त नहीं होने पर वे खान मार्केट जाती हैं और खरीदारी करती हैं, अपने बच्चों का खयाल रखती हैं। उन्होंने कहा कि जब मेरे भाई या माँ को अभी या बाद में मेरी जरूरत होती है तो वे हमेशा मुझसे (सहयोग के लिए) जो कहते हैं और मैं करती हूँ।

प्रियंका का कहना था कि मैं इस तथ्य को नहीं झुठला सकती कि मेरा जन्म राजनीतिक परिवार में हुआ है और इसलिए यह हमेशा एक कारक रहेगा। कांग्रेस को प्रियंका की योग्यता की जरूरत संबंधी तर्क को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस शब्द 'जरूरत' को नहीं समझती। कांग्रेस के पास मजबूत नेतृत्व है, इसमें मेरी माँ हैं, मनमोहनसिंहजी हैं, जो खुद बहुत मजबूत हैं। दूसरे दर्जे पर भी कई नेता हैं। इनमें से मेरे भाई भी एक हैं।

उन्होंने कहा कि राहुल को नई राजनीति के अपने विचारों के साथ आगे बढ़ने में उनकी मदद की जरूरत नहीं होती।

प्रियंका ने कहा कि कोई और मुझसे क्या चाहता है इसके कोई मायने नहीं हैं, चाहे मेरे अभिभावक हों, मेरी पार्टी हो, मेरा देश हो, चाहे जो भी हो। सबसे पहले मैं खुद के लिए सच्ची रहूँ। मैं अपने जीवन के तरीके से बहुत खुश हूँ।

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