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नेता और पार्टी दोनों बेचैन

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लखनऊ , रविवार, 3 मई 2009 (15:37 IST)
उत्तरप्रदेश में अब तक हुए तीन चरणों में मतदान का लगातार गिरता प्रतिशत पार्टियों और प्रत्याशियों दोनों के लिए चिन्ता का कारण बन गया! पहले तीन चरण में उत्तरप्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में 8 पर मतदान पूरा हो चुका है। इन तीन में किसी भी चरण में 50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। मतदान के इस प्रतिशत ने निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों को परेशानी में डाला है। मतदान के प्रति अरुचि लोकतंत्र के लिए शुभ लक्षण नहीं है।

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री मायावती ने मतदाताओं से मतदान करने की बार बार अपील की। उन्होंने हमेशा कहा कि मतदान करने के बाद ही महिलाएँ चूल्हे-चौके के काम में लगें। उन्होंने खुद मतदान शुरू होने के 15 मिनट बाद बिना नाश्ता किए अपना वोट डाला।

लोकसभा के पिछले चुनाव में 8 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे लेकिन इस बार तीन चरणों में यह आँकड़ा 6 के आसपास ही है। लोकसभा के पिछले चुनाव भी इसी समय गर्मी में ही हुए थे। लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए इस बार कई स्वयंसेवी संगठन भी आगे आए।

मतदान करने पर छूट : मतदान के प्रति उत्साह पैदा करने के लिए राजधानी लखनऊ के कुछ रेस्टोरेंट और वाटर पार्क ने मतदान कर आने वालों को रियायत दी। निर्वाचन आयोग ने भी चुनाव के पहले मतदान के प्रति जागरूकता के उपाय किए। ऐसा पहली बार हुआ कि मतदान के दिन निजी वाहनों और सरकारी वाहनों को सड़कों पर बेधड़क चलने की छूट दी गई।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार थोड़ी गिरावट हुई। लोकसभा के पिछले चुनाव में 8.6 प्रतिशत तथा इस बार 8.30 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। प्रियंका गाँधी बढेरा की लाख अपील के बावजूद अमेठी में मतदान का प्रतिशत 6 के आसपास ही पहुँच सका।

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