-मनोज वर्मा
उत्तरप्रदेश के रुहेलखंड क्षेत्र की आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की मौजूदगी ने सपा, बसपा और भाजपा के समीकरणों को गड़बड़ा दिया है। विरोधी दल भले ही राज्य में कांग्रेस को चुनावी लड़ाई से बाहर मान कर चल रहे हों, लेकिन रुहेलखंड में कांग्रेस मुख्य लड़ाई में है।
कांग्रेस की स्थिति से उत्साहित राहुल गाँधी ने रुहेलखंड का दौरा करने में हिचक नहीं दिखाई। सबसे ज्यादा परेशानी में सपा है। कारण, लंबे अर्से बाद कांग्रेस को इस क्षेत्र में मुसलमानों का भारी समर्थन मिल रहा है। बरेली, पीलीभीत, बदायूँ, आँवला, शाहजहाँपुर, लखीमपुर खीरी और रामपुर में सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है।
पीलीभीत लोकसभा सीट भाजपा उम्मीदवार वरुण गाँधी के कथित उत्तेजक भाषणों के बाद से चर्चा में है। पिछले लोकसभा चुनाव तक वरुण गाँधी की माँ मेनका गाँधी इस सीट से चुनाव लड़ती थीं। मेनका जिस पवैया विधानसभा क्षेत्र से बढ़त हासिल करती थीं वह परिसीमन में बदलाव के बाद शाहजहाँपुर संसदीय क्षेत्र में मिल गई है। जबकि, बरेली लोकसभा सीट का हिस्सा रही बहेड़ी विधानसभा सीट पीलीभीत का हिस्सा बन गई।
बहेड़ी के शामिल होने से लगभग एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता पीलीभीत संसदीय क्षेत्र में बढ़ गए हैं। इस सीट पर दलित और पिछड़े मतदाताओं की संख्या भी निर्णायक है। वरुण को गन्ना किसानों की राजनीति करने वाले कांग्रेस उम्मीदवार बीएन सिंह, सपा के रियाज अहमद और बसपा के गंगाचरण राजपूत से कड़ी टक्कर मिल रही है।
बदायूँ में पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर लड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव ने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। मुलायम को झटका देने के लिए बसपा ने पूर्व सांसद नेता डीपी यादव को टिकट दिया है। भाजपा से डीके भारद्वाज मैदान में हैं।
आँवला लोकसभा सीट से इस बार मेनका गाँधी चुनाव लड़ रही हैं। यहाँ कांग्रेस ने एक स्थानीय पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिया है। पिछला चुनाव जदयू के टिकट पर जीते सर्वराजसिंह को बसपा ने उम्मीदवार बनाया है तो सपा ने धर्मेंद्र कश्यप को टिकट दिया है। जातिगत समीकरणों के लिहाज से सीट मेनका के खिलाफ है। ठाकुर, कश्यप, मुस्लिम और लोधी बहुल्य इस सीट पर मेनका हिन्दूत्व और अपने कद के भरोसे जीत की आस लगाए बैठी हैं।