क्या चुनावी सियासत में उम्र की कोई सीमा तय होनी चाहिए? पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल के मतदाताओं ने ज्यादातर सीटों पर युवा उम्मीदवारों के सिर जीत की पगड़ी बाँधी और इस सवाल पर अपनी राय जाहिर कर दी।
अंचल में चुनावी जंग कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी के लंबे तजुर्बे और कांग्रेस की युवा ऊर्जा के बीच थी। मसलन मालवा-निमाड़ की आठ सीटों पर खम ठोंकने वाले भाजपा उम्मीदवारों की उम्र का औसत करीब 60 वर्ष था। वहीं भाजपा के दिग्गजों को चुनौती दे रहे कांग्रेस उम्मीदवारों की उम्र का औसत लगभग 45 साल था।
चुनावी जानकारों का आकलन है कि पंद्रहवीं लोकसभा के लिए भाजपा को अंचल में फिर अपने पुराने चेहरों पर दाँव लगाना भारी पड़ा। नतीजतन मालवा-निमाड़ में इस बार छह सीट पर कांग्रेस ने विजय पताका फहरा दी जबकि भाजपा को अपनी तथाकथित पकड़ वाले अंचल में महज दो सीट से संतोष करना पड़ा।
इस सिलसिले में सबसे दिलचस्प मुकाबला मंदसौर संसदीय सीट पर देखने को मिला। वहाँ भाजपा के 81 वर्षीय उम्मीदवार डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय को कांग्रेस की 35 वर्षीय प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन ने 30819 मत से मात दी।
डॉ. पाण्डेय के नाम इस सीट से आठ बार लोकसभा के लिए चुने जाने का रिकॉर्ड दर्ज है जबकि कांग्रेस सचिव मीनाक्षी ने अपने सियासी करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा।
भाजपा की ओर से फिर चुनाव में किस्मत आजमाने वाले 63 वर्षीय डॉ. सत्यनारायण जटिया (उज्जैन), 62 वर्षीय थावरचंद गेहलोत (देवास) और 56 वर्षीय नंदकुमार सिंह चौहान (खंडवा) को भी मतदाताओं ने नकार दिया।
डॉ. जटिया को सात बार और गेहलोत तथा चौहान को चार-चार बार अपनी सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनने का श्रेय हासिल है। ये सभी चौदहवीं लोकसभा में भी अपनी-अपनी सीट की नुमाइंदगी कर चुके हैं, पर पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में इन्हें कांग्रेस के अपेक्षाकृत युवा उम्मीदवारों के हाथों पराजय झेलनी पड़ी।
बहरहाल भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन लगातार सातवीं बार इंदौर से लोकसभा पहुँचने में कामयाब रहीं। उन्होंने कांग्रेस के युवा उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को हराया। 66 वर्षीय भाजपा उम्मीदवार सुमित्रा की फतह का अंतर हालाँकि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 94 फीसद घटकर महज 11480 वोट रह गया। पिछले चुनाव में उन्होंने 193936 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।