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मप्र में भाजपा को करारा झटका

प्रत्याशियों के खिलाफ रहा रुझान

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भोपाल (वार्ता) , शनिवार, 16 मई 2009 (19:10 IST)
मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तमाम पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने जहाँ दहाई का आँकडा पार कर लिया है, वहीं भाजपा को उसके कई दिग्गज प्रत्याशियों के खिलाफ नाराजगी का नुकसान हार के रूप में उठाना पड़ा है।

राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटों में से पिछले चुनाव में 25 पर कब्जा जमाने वाली भाजपा ने इस बार 25 से भी अधिक सीटें जीतने का आत्मविश्वास दिखाया था। राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे थे कि भाजपा 20 से ऊपर सीटें आसानी से हॉसिल करेगी, जबकि कांग्रेस अधिकतम सात आठ सीटें जीतने की स्थिति में नजर आती है, लेकिन सारे पूर्वानुमान धरे रह गए।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गेहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, फग्गनसिंह कुलस्ते और भाजपा उम्मीदवार तथा कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह के अनुज लक्ष्मणसिंह की पराजय बताती है कि पिछले कई चुनावों से जीतने वाले पार्टी के इन उम्मीदवारों को जनता ने सिरे से नकार दिया।

भाजपा के इन वरिष्ठ नेताओं के मुकाबले मैदान में उतरे कांग्रेस के युवा उम्मीदवारों को मतदाताओं ने अपने समर्थन से नवाजते हुए लोकसभा पहुँचाया है। इसमें कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी का कितना प्रभाव रहा, यह विश्लेषण का विषय हो सकता है।

अपने गढ़ मालवा-निमाड़ अंचल में इस बार भाजपा का जादू नहीं चला और उसे यहाँ खासा नुकसान उठाना पड़ा। उज्जैन, राजगढ़, धार, देवास और खंडवा में भाजपा की पराजय उसे लंबे समय तक सालती रहेगी।

इस अंचल में हालाँकि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुमित्रा महाजन की इंदौर और खरगोन सीट से मकनसिंह सोलंकी की जीत उसके लिए सांत्वना बँधाने वाली रही।

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