यूपीए का चेहरा बदलना चाहती है कांग्रेस
लालू-पासवान को किनारे करने की ताक में है कांग्रेस
-सुरेश बाफना
कांग्रेस इस नतीजे पर पहुँची है कि अगली सरकार के गठन में लालूप्रसाद यादव व रामविलास पासवान की कोई भूमिका नहीं रहेगी। इन दोनों नेताओं की कुल सीटें दहाई की संख्या भी पार नहीं कर पाएँगी।
पिछले दिनों दस जनपथ में रणनीतिकारों की बैठक में तय किया गया कि मायावती की बजाय मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को साथ लेने की कोशिश की जाए। कांग्रेस का विश्लेषण है कि उत्तर प्रदेश में सपा को 22-25 सीटें मिलेंगी। तमिलनाडु में यदि डीएमके को बहुत कम सीटें मिलीं तो कांग्रेस जयललिता का हाथ थामने में देर नहीं करेगी। कांग्रेस का मानना है कि तमिलनाडु में दोनों गठबंधनों को बराबर सीटें मिलेंगी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने 'नईदुनिया' से बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यह टिप्पणी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी कि मुझे वामदलों, मुलायम यादव, रामविलास पासवान, लालू यादव, शरद पवार, जयललिता, डीएमके व पीएमके के साथ काम करने का पर्याप्त अनुभव है।
सिंह ने अप्रत्यक्ष रूप से इस संभावना को खारिज किया था कि तीसरे मोर्चे के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को कांग्रेस समर्थन दे सकती है। उनका कहना था कि वर्तमान गठबंधन बेहतर ढंग से काम कर रहा है। सिंह ने वामदलों की तारीफ करते हुए खेद जताया कि परमाणु करार पर उन्हें समर्थन वापस लेना पड़ा।
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस 150 सीटें पाने में सफल रही तो मनमोहन के नेतृत्व पर समझौता करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पार्टी का मानना है कि यदि सिंह प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार्य नहीं होते हैं तो कांग्रेस को विपक्ष में बैठने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वाम दल सिमट जाएँगे: दूसरी तरफ यह माना जा रहा है कि वामदलों की सीटें घटकर 30-35 रह जाएँगी, ऐसी स्थिति में उनकी सौदेबाजी करने की क्षमता काफी कम हो जाएगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना था कि चुनाव नतीजों के बाद यूपीए का चेहरा पूरी तरह बदला हुआ नजर आएगा।