मनमोहनसिंह जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे, भारत में 20 साल के दौरान लगातार दसवीं गठबंधन सरकार बनेगी। देश में पहली बार गठबंधन सरकार 1989 में बनी थी। इससे पहले सबसे बड़ी पार्टी के रूप में काग्रेस ही देश के राजनीतिक धरातल पर अपना वर्चस्व रखती थी।
1989 में हालाँकि कांग्रेस ने किसी भी दल के मुकाबले सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं होने के कारण वह सरकार नहीं बना पाई। इसके बाद जनता दल ने भाजपा और वामदलों के सहयोग से सरकार बनाई।
यह गठबंधन सरकार नवंबर 1990 में गिर गई और उसके बाद संक्षिप्त अवधि के लिए चंद्रशेखर कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बने। ये गठबंधन सरकार भी गिर गई और जून 1991 में चुनाव हो गए।
तमिलनाडु में 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार करते हुए कांग्रेस के नेता राजीव गाँधी की हत्या हो गई। चुनाव में कांग्रेस ने 213 सीटें जीतीं और गठबंधन के साथ सत्ता में आई। प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिंहराव।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली इस सरकार ने पाँच साल शासन किया। इस सरकार ने आर्थिक सुधार और उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक निवेश और व्यापार के लिए खुल गई। भारत की घरेलू नीतियों ने भी इस दौरान नया आकार लिया। कई छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का उदय हुआ। राव के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज के अंतिम महीनों में कई बड़े राजनीतिक घोटाले हुए।
भाजपा मई 1996 के चुनाव में विजयी बनकर उभरी, लेकिन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी लोकसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए और 13 दिन में ही सरकार गिर गई।
सभी राजनीतिक दल एक और दौर का चुनाव नहीं चाहते थे, इसलिए जनता दल के नेतृत्व में 14 पार्टियों वाला गठबंधन बना और एचडी देवगौड़ा प्रधानमत्री बन गए। उनकी सरकार एक साल से कम समय चली क्योंकि कांग्रेस ने मार्च 1997 में सरकार से समर्थन खींच लिया था।
इसके बाद इंद्रकुमार गुजराल देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 16 पार्टियों वाले संयुक्त मोर्चा की अगुवाई की। नवंबर 1997 में कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। फरवरी 1998 में चुनाव हुए और भाजपा 182 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरी।
20 मार्च 1998 को राष्ट्रपति ने भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को आमंत्रित किया और वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण किए।
अप्रैल 1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अन्नाद्रमुक द्वारा समर्थन वापस ले लिए जाने के कारण गिर गई। सितंबर में फिर से चुनाव कराए गए। राजग को बहुमत मिला और वाजपेयी अक्टूबर 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।
मई 2004 में राजग सत्ता से बाहर हो गया और कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग ने सरकार बनाई। मनमोहनसिंह प्रधानमंत्री बने और 2009 के चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग की जबरदस्त जीत के बाद शुक्रवार को वे फिर इस उच्च पद के लिए शपथ लेने जा रहे हैं।