कमजोर प्रधानमंत्री और दस जनपथ के निर्देश से सरकार चलाने के आरोपों से विचलित हुए बिना प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा कि तमाम मामलों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को साथ लेकर चलना उनकी शक्ति है, कमजोरी नहीं।
सिंह ने ईटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, यूपीए की चेयरपर्सन हैं, मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ उनके नाम पर कांग्रेस पार्टी के लिए वोट माँगता हूँ। इसमें कोई गलत बात तो नहीं है।
उनसे सवाल किया गया कि प्रधानमंत्री रहते उन्हें यह बयान देने की क्या जरूरत थी कि मैं सोनिया गाँधी का दूत हूँ, उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि कांग्रेस की नेता सोनियाजी हैं। मेरे लिए ये जरूरी है कि तमाम मामलों में कांग्रेस लीडरशिप को साथ लेकर चलूँ।
पश्चिम बंगाल में चुनावी सभाओं में वामदलों को खरी-खोटी सुनाने के बाद चुनाव बाद उनसे फिर से तालमेल का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देखिए, राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या स्थायी दुश्मन नहीं होता। अंतत: क्या गठबंधन और तालमेल बनेगा, यह चुनावी नतीजों से उभरने वाले गणित पर निर्भर करेगा। मैं किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हूँ। उनसे सवाल किया गया था कि क्या वे माकपा महासचिव प्रकाश करात से समर्थन माँगेंगे।
सिंह ने इस बात से इनकार किया कि करात व्यक्तिगत रूप से उनके विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने उनके साथ बहुत करीब से काम किया है। हम चार साल सहयोगी रहे हैं। मुझे अभी भी विश्वास है कि चुनाव बाद केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनेगी।
यह कहे जाने पर कि उनकी सरकार के अंतिम समय में करात उनके बहुत कटु आलोचक बन गए थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अनावश्यक है। मुझे नहीं लगता कि राजनीति में कटुता से कोई लाभ मिलता है।