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1998 के बाद इतने निर्दलीय मैदान में

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भोपाल , गुरुवार, 23 अप्रैल 2009 (11:26 IST)
-वैभव श्रीधर
चुनावी खर्च को लेकर पार्टी प्रत्याशियों और निर्वाचन आयोग के बीच 'तू डाल-डाल हम पात-पात' का खेल काफी पुराना है। प्रत्याशियों ने इसे रक्षा कवच बना लिया है।

आयोग चुनाव में धनबल का प्रयोग रोकने की मंशा से कदम तो उठाता है, लेकिन प्रत्याशियों को काबू में नहीं कर पाता। नेता हर बार कोई न कोई ऐसा रास्ता निकाल लेते हैं, जिसका तोड़ खोज पाने में आयोग को काफी समय लग जाता है।

चुनावी खर्च की सीमा के फंदे से बचने के लिए उम्मीदवारों द्वारा निर्दलीय प्रत्याशियों के इस्तेमाल नया फंडा है। इनके नाम पर संसाधनों का खुला उपयोग अपने लिए किया जाता है। आयोग भी इस बात को समझ चुका है।

इसीलिए 'डमी' के तौर पर खड़े होने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों पर नकेल कसने की कोशिशें जारी हैं। इस चुनाव में भी सर्वाधिक 20 निर्दलीय प्रत्याशी छिंदवाड़ा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि शहडोल से एक भी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है।

विधानसभा चुनाव में हुआ खुलासा : लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार के लिए खर्च की अधिकतम सीमा २५ लाख रुपए है। व्यवहारिक दृष्टि से देखें तो इस सीमा में चुनाव में होने वाले भारी खर्चों को समेटा नहीं जा सकता।

इसका खुलासा पहली बार नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव के दरमियान तब हुआ जब निर्दलीय उम्मीदवारों के नाम चढ़े वाहन किसी और उम्मीदवार का चुनाव प्रचार करते पकड़े गए।

एक की बची थी जमानत : चुनावी समर में निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़ती तादाद इस बात को और पुख्ता करती है कि दाल में कहीं कुछ काला जरूर है। क्योंकि इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की ज्यादा संख्या उन्हीं सीटों पर देखने को मिल रही है, जहॉं मुकाबला हाईप्रोफाइल है।

यूँ भी माना जाता है कि निर्दलीय या डमी उम्मीदवारों को चुनावी खर्च के अलावा जातीय, सामाजिक और भौगोलिक समीकरण के आधार पर 'वोट काटू' भूमिका निभाने के लिए मैदान में उतारा जाता है।

पिछले लोकसभा चुनाव में 157 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। हालॉंकि इनमें से एक को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई थी लेकिन इन्होंने कांग्रेस व भाजपा को छोड़कर सभी दलों से ज्यादा वोट कबाड़ लिए थे।

छिंदवाड़ा पहली पसंद : निर्दलीय उम्मीदवारों की पहली पसंद महाकौशल की छिंदवाड़ा सीट है। कमलनाथ के एकछत्र राज वाली इस सीट पर 2004 के लोकसभा चुनाव में 20 निर्दलीय प्रत्याशी किस्मत आजमाने चुनावी समर में उतरे थे।

यह स्थिति इस बार भी है। 2009 के चुनाव में फिर 20 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से एक का नाम कमलनाथ भी है। कुछ इसी तरह का मंजर हाईप्रोफाइल हो चुकी मुरैना संसदीय क्षेत्र का भी है। यहॉं से इस बार 15 निर्दलीय मैदान में हैं। जबकि प्रदेश की 29 सीटों में से शहडोल ही एकमात्र ऐसी सीट है जहॉं एक भी निर्दलीय उम्मीदवार नहीं है।

कई निर्दलीय मैदान में : इस बार कई निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। छिंदवाड़ा, मुरैना, ग्वालियर, गुना, टीकमगढ़, दमोह और भोपाल ऐसी सीटें हैं जहाँ निर्दलीय उम्मीदवारों की तादाद काफी है।

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