भाजपा के चुनावी प्रबंधकों का यह नजरिया है कि प्रधानमंत्री पद के पार्टी उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी की गाँधीनगर लोकसभा सीट से जीत से भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि उनकी जीत में मतों का अंतर कितना रहता है।
गाँधीनगर लोकसभा सीट से पाँचवीं बार संसद सदस्य बनना चाह रहे आडवाणी ने वर्ष 2004 के आम चुनाव में यहाँ से 2.17 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
उनके खेमे के लोगों का कहना है कि अगर आडवाणी मतों के अंतर को बेहतर नहीं कर पाए तो यह आँकड़ा बचाए रखना महत्वपूर्ण होगा।
इस बार कांग्रेस ने आडवाणी के खिलाफ पटेल समुदाय के स्थानीय नेता सुरेश पटेल को मैदान में उतारा है। वे दो बार कलोल से विधायक रह चुके हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मल्लिका साराभाई भी मैदान में हैं।
चुनावी पर्यवेक्षकों का मानना है कि पटेल को कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं के समर्थन के साथ ही उनके समुदाय से अच्छे वोट मिल सकते हैं, जिनकी इस निर्वाचन क्षेत्र में संख्या करीब दो लाख है। वहीं साराभाई के भाजपा और कांग्रेस के वोट काटने की संभावना है।
प्रधानमंत्री पद के भाजपा उम्मीदवार की पुत्री प्रतिभा आडवाणी कहती हैं कि हम यहाँ जीत को लेकर आश्वस्त हैं। लोगों से मिल रही प्रतिक्रिया हमें यह विश्वास देती है। प्रचार अभियान के दौरान मतदाताओं ने हमसे कहा कि हमें प्रचार की जरूरत नहीं है क्योंकि आडवाणी की जीत निश्चित है।
गाँधीनगर लोकसभा सीट के चुनाव में कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब 15.55 लाख है। इसमें 7.99 लाख पुरुष और 7.55 लाख महिलाएँ हैं।