-भाषा सिंह
शहरों में अगर लोग अपनी राजनीतिक अकर्मण्यता के चलते वोट नहीं देते तो आदिवासी बहुल कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जो एक विशेष तरह की राजनीति से लैस होकर मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के 24 गाँवों के 22 हजार 800 आदिवासियों ने घोषित तौर पर इसलिए वोट नहीं दिया, क्योंकि जंगल कानून-2006 का सही क्रियान्वयन नहीं किए जाने से उनके जीवन पर संकट खड़ा हो गया है।
इस पूरे इलाके में लंबे समय से जल, जंगल और जमीन पर कब्जा बनाए रखने के लिए आदिवासी संघर्ष कर रहे हैं और 4 अप्रैल को उन्होंने बाकायदा आदिवासी पंचायत करके तमाम राजनीतिक पार्टियों से इस मुद्दे को हल करने को कहा और ऐसा न करने पर मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की।
इसी पंचायत का फैसला 23 अप्रैल को आदिवासियों ने लागू किया। ऐसा नहीं है कि वे वोट नहीं डालना चाहते या उनके वोट न डालने से वहाँ से कोई प्रत्याशी निर्वाचित नहीं होगा। यह उनके मुद्दों के प्रति जो राजनीतिक दलों की उदासीनता थी, उसकी वजह से आदिवासियों ने यह कड़ा कदम उठाया।