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उपप्रधानमंत्री से प्रधानमंत्री नहीं बन सके आडवाणी

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नई दिल्ली (भाषा) , शनिवार, 16 मई 2009 (20:59 IST)
लालू प्रसाद दावा कर सकते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी की कुंडली में प्रधानमंत्री बनने का योग नहीं है यह उन्होंने पहले ही बता दिया था। बहरहाल चुनाव नतीजों ने आडवाणी को देश में ऐसा तीसरा शख्स बनने से रोक दिया है जो उप प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने।

जानकारों के अनुसार यदि देश में उप प्रधानमंत्रियों का इतिहास देखा जाए तो आडवाणी से पहले तक बने छह उप प्रधानमंत्रियों में से दो ही प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुँच पाए हैं।

देश में सबसे पहले उप प्रधानमंत्री बनने का रुतबा सरदार बल्लभ भाई पटेल को मिला था लेकिन वह प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुँच पाए।

इसके विपरीत मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह ऐसे दो उदाहरण हैं जो उप प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी सरकार के समय आडवाणी को उप प्रधानमंत्री बनाए जाने के साथ ही यह सवाल उठने लगा था कि क्या भाजपा के लौह पुरुष कभी प्रधानमंत्री बन पाएँगे।

इस बार पार्टी ने अपनी ओर से पूरी कोशिश भी की और मजबूत नेता निर्णायक सरकार के नारे पर जनता के दरवाजे पर गई लेकिन परिणाम माकूल नहीं मिल पाया।

देसाई इंदिरा गाँधी के समय 13 मार्च 1967 से 16 जुलाई 1969 तक और फिर उसी दिन से 19 जुलाई तक देश के उप प्रधानमंत्री रहे। वर्ष 1977 में जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने पर वह 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।

प्रधानमंत्री बनने के बाद देसाई पर 1979 के शुरू में उप प्रधानमंत्री बनाने का दबाव पड़ने लगा तब उन्होंने 24 जनवरी 1979 को एक साथ दो उप प्रधानमंत्री बना दिए।

इनमें एक बाबू जगजीवन राम और दूसरे चौधरी चरण सिंह थे। चरण सिंह ने अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए देसाई सरकार से समर्थन वापस ले लिया और कांग्रेस के समर्थन से 28 जुलाई 1979 को देश के प्रधानमंत्री की शपथ ली।

चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद कांग्रेस (एस)के नेता वाई बी चह्वाण को गृह मंत्रालय का प्रभार देने के साथ साथ उप प्रधानमंत्री भी बनाया। चह्वाण 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक इस पद पर रहे।

विश्वनाथ प्रताप सिंह जब दो दिसंबर 1989 को प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने साथ चौधरी देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया जो एक अगस्त 1990 तक इस पद पर रहे।

यह भी रोचक है कि सिंह देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने केंद्र सरकार में उप मंत्री का भी ओहदा संभाला। इंदिरा गाँधी ने सबसे पहले उन्हें उप मंत्री ही बनाया था।

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