उल्फा के वार्ता समर्थक धड़े ने जहाँ मतदान का बहिष्कार किया वहीं उल्फा कमांडर इन चीफ परेश बरुआ के परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को घरों से निकल कर अपने मताधिकार का उपयोग किया।
वार्ता के पक्षधर गुट के नेता जितेन दत्ता ने बताया कि उनके माँग पत्र पर सरकार का जवाब नहीं आने के विरोध में उन्होंने यह निर्णय किया है।
बहरहाल उल्फा कमांडर परेश बरुआ की 85 वर्षीय माँ मिलिकी बरुआ ने डिब्रूगढ़ लोकसभा संसदीय क्षेत्र के चोकोली बेरिया में एक मतदान केंद्र में अपने सबसे छोटे पुत्र और बहू के साथ अपना वोट डाला।
असम गण परिषद से पंचायत सदस्य बरुआ की बहन हीरावती बरुआ उनके अन्य दो भाइयों उनकी पत्नियों और भतीजे ने भी वोट डाला।
दत्ता ने बताया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संघर्ष विराम का स्वागत किया है लेकिन उन्होंने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। हम सरकार से रुख स्पष्ट करने की माँग करते हैं।
दत्ता के अनुसार उन्होंने इस संबंध में राजनीतिक पार्टियों से भी संपर्क किया था लेकिन उनका रुख भी अस्वीकार्य था जिससे उन्हें यह निर्णय करना पड़ा।
वर्तमान चुनावों में उनकी भूमिका के संबंध में पूछे जाने पर दत्ता ने कहा हमने लोगों से उन उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की अपील की है जिनके गंभीर प्रयासों से हमारी समस्याएँ हल हो सकें।