-जितेन्द्र कुमार
राहुल गाँधी का यह बयान कि केंद्र से भेजी गई रकम की सिर्फ 10 फीसदी राशि ही गाँवों तक पहुँचती है, कांग्रेस और संप्रग के दावे को झुठलाता है। अगर राहुल की इस बात में सच्चाई है तो पिछले पाँच सालों में ग्रामीण विकास योजना और किसानों की ऋण माफी को जोड़कर खर्च किए गए 2 हजार 655 अरब की राशि में से सिर्फ 260.5 अरब की राशि ही गाँवों तक पहुँच पाई है। आखिर इस राशि की नब्बे फीसद रकम यानी 2 हजार 394 अरब की राशि कहाँ गई? इस का जवाब कांग्रेस और संप्रग दोनों को ही देना चाहिए।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पाँच साल के शासन में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक हजार 772 अरब रुपए खर्च किए हैं। इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के तहत वर्ष 2006-07, 2007-08 और 2008-09 में क्रमशः 8 हजार 823.35 करोड़, 15 हजार 853.89 करोड़ और 26 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीणों को बेहतर यातायात सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) शुरू की गई थी, जिसमें अब तक 85 हजार 900 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
इसी तरह कृषि बजट में भी वर्ष 2003-04 से 2008-09 के बीच कम से कम तीन सौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सामान्य समझदारी यह है कि भारत कृषि प्रधान देश है और अगर कृषि बजट में कोई भी राशि बढ़ाई जाती है तो उसका सीधा लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचता है। कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए वर्ष 2007-08 में 25 हजार करोड़ रुपए से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की शुरू की गई।
कृषि उत्पादन में किसानों को पैसे की कमी न हो और जरूरत पड़ने पर सहकारी बैंक से ऋण मिल जाए, इसके लिए सहकारी बैंकों को पुनरुद्धार के लिए केंद्र सरकार ने 13 हजार 500 करोड़ की राशि मुहैया कराई है।
इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए 65 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया। केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए इंदिरा आवास योजना में आज तक कुल 40 हजार 953 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है जिसके तहत 1 करोड़ 90 लाख 23 हजार घरों का निर्माण किया जा चुका है। जबकि वृद्धावस्था पेंशन की योजना पर भी हर साल 4 हजार 200 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसी तरह भारत निर्माण योजना के तहत स्वच्छ पेयजल परियोजना के तहत 25 हजार 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण भारत में सभी तरह की मूलभूत संरचना को विकसित करने के लिए आरआईडीएफ का गठन किया, जिसके लिए वर्ष 2003-04 में 5 हजार 500 करोड़ की राशि दी गई। इसे बढ़ाकर 2008-09 में 14 हजार करोड़ कर दिया गया। राजीव गाँधी ने 1985 में 15 फीसदी राशि के गाँवों तक पहुँचने की बात कही थी। उनके कहने के 24 साल बाद उनके बेटे राहुल ने इस राशि को घटाकर 10 फीसदी कर दिया है।