पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में बड़े-बड़े दिग्गजों ने सफलता के झंडे गाड़े लेकिन उनमें से कोई भी भारतीय राजनीति के दो महारथियों अटलबिहारी वाजपेयी और सोमनाथ चटर्जी के सबसे ज्यादा बार जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ना तो दूर उसे छू भी नहीं पाया।
जिन दो लोगों जार्ज फर्नांडीस और गिरिधर गमांग के इस रिकॉर्ड की बराबरी करने की संभावना थी, वे दोनों जनता के दरबार में नकार दिए गए। अतः अब 16वीं लोकसभा तक यह कीर्तिमान बना रहेगा। दिग्गज समाजवादी फर्नांडीस बिहार की मुजफ्फरपुर सीट पर जमानत राशि तक नहीं बचा पाए जबकि पूर्व मुख्यमंत्री गमांग उड़ीसा की कोरापुट सीट पर मात खा बैठे।
फर्नांडीस और गमांग अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं जबकि वाजपेयी और चटर्जी दस बार देश के सर्वोच्च निर्वाचित सदन के सदस्य रह चुके हैं। हालाँकि इस बार दोनों चुनाव मैदान में नहीं उतरे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पिछली लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता रहे वसुदेव आचार्य ने नौ बार चुनाव जीतने के फर्नांडीस और गमांग के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। आचार्य पहली बार सातवीं लोकसभा के सदस्य बने थे और तब से वे लगातार जीतते आ रहे हैं। उनके अलावा हन्नान मोल्लाह ने यह करिश्मा किया है जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनोरंजन भक्त इस बार मैदान में नहीं उतरे।
आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले रामविलास पासवान और भाजपा के डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय की पराजय ने उन्हें इस कीर्तिमान की बराबरी करने से रोक दिया। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा इस बार तुरा से नहीं उतरे और उनकी जगह उनकी पुत्री अगाथा दूसरी बार लोकसभा की सदस्य बनीं। संगमा भी आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। आठ बार के विजेता हन्नान मोल्लाह और सतन कुमार मंडल भी 15वीं लोकसभा में नहीं दिखाई देंगे।
सात बार चुनाव जीत चुके केंद्रीय मंत्री संतोष मोहन देव इस दफा असम में चुनाव हार गए जिसके साथ ही आठवीं बार लोकसभा में पहुँचने का उनका सपना अधूरा रह गया लेकिन उनके सहयोगी कमलनाथ ने आठवीं जीत छिंदवाड़ा से दर्ज की है। कमलनाथ और देव दोनों ही पहली बार सातवीं लोकसभा में चुने गए थे।
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत्यनारायण जटिया ने भी सातवीं लोकसभा में पहली बार दाखिले के साथ सफर शुरू किया था लेकिन वह इस बार नहीं चुने गए हैं। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सातवीं दफा लोकसभा का चुनाव जीता है। वे पहली बार आठवीं लोकसभा की सदस्य बनी थीं लेकिन नौवीं लोकसभा का चुनाव हार गई थीं। उसके बाद से वे लगातार सदन की सदस्य निर्वाचित हो रही हैं।
पी. चिदंबरम ने भी ममता के साथ अपना लोकसभा का सफर शुरू किया था और वे भी उनकी ही बराबरी पर हैं लेकिन नौवीं लोकसभा में पहली बार निर्वाचित होने वाले संतोष कुमार गंगवार इस बार उत्तरप्रदेश की बरेली सीट से चुनाव में पराजित हो गए हैं। वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे लेकिन उनकी पार्टी की सुमित्रा महाजन ने अपना सफर जारी रखा है और वे 15वीं लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुई हैं।
शरद पवार, अर्जुन चरण सेठी, हरीन पाठक, विलास बाबूराव मुत्तेमवार और शिबू सोरेन ने सातवीं बार लोकसभा का चुनाव जीता है लेकिन वाजपेयी और चटर्जी की बराबरी करने के लिए उन्हें अभी काफी दूरी तय करनी होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस बार भी गांधीनगर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर लोकसभा का रास्ता तय किया है लेकिन यह उनकी छठी लोकसभा होगी। यही आलम विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद, चिन्ता मोहन, बीके हांडिक और चौधरी अजितसिंह की है।
छठी बार लोकसभा का सदस्य बनने का प्रयास करने वाले राजद के वरिष्ठ नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव, केंद्रीय कपड़ा मंत्री शंकरसिंह वाघेला, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के भाई लक्ष्मणसिंह और रेल राज्यमंत्री नारनभाई राठवा को जनता ने यह अवसर इस बार नहीं दिया है।