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गुरु की नगरी में बुरे फँसे सिद्धू

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हमें फॉलो करें नवजोत सिंह सिद्धू
अमृतसर , शनिवार, 9 मई 2009 (10:46 IST)
-राजकुमार भारद्वाज
स्वादिष्ट बड़ियों और पापड़ों के लिए मशहूर गुरुनानक की इस पवित्र नगरी में पिछले तीन सालों से दो पुलों का निर्माण चल रहा है। गुरु नानकदेव विश्वविद्यालय अमृतसर समाजशास्त्र विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर कहते हैं कि केंद्र सरकार की योजना के तहत बन रहे इन पुलों के निर्माण में देरी का कारण ठेकेदार नहीं बल्कि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति है। दरअसल, अकाली किसी कीमत पर इसका श्रेय भाजपा प्रत्याशी नवजोतसिंह सिद्धू को नहीं लेने देना चाहते।

इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ओपी सोनी के सामने नवजोत सिद्घू अभी तक हाँफ रहे हैं। सिद्घू आज तक कोई चुनाव नहीं हारे तो उनके सबसे बड़े विरोधी ओपी सोनी ने भी कभी हार का मुँह नहीं देखा है।

लगातार दो बार आजाद विधायक बने ओपी सोनी की यहाँ भारी लोकप्रियता है और वे 24 घंटे लोगों को उपलब्ध रहते हैं, ठीक इसके विपरीत सिद्धू के बारे में कहा जाता है कि वे हमेशा मुंबई के टीवी चैनलों के स्टूडियो में मिलते हैं और अमृतसर में बहुत कम आते हैं। यहाँ चुनाव में मुद्दे नहीं हैं। सिद्धू अपनी सभाओं में वैजयंतीमाला का एक गाना गाते हैं- 'मेरे पैरों में घुँघरू बँधा दे, तो फिर मेरी चाल देख ले।'

भाजपा के कॉडर आधारित कार्यकर्ता और संघ परिवार, दोनों एकजुट होकर लगे हैं,लेकिन अकाली दल के कार्यकर्ता यहाँ भाजपा के साथ न के बराबर दिखते हैं। पंजाब की राजनीति के जानकार अमरीकसिंह कहते हैं, सिद्धू का व्यक्तित्व करिश्माई है और गैर सिखों की एकमात्र पार्टी भाजपा में कोई असरदार सिख नेता उभरे, इसी के चलते यहाँ हमेशा सिद्धू की टाँग खिंचाई होती रही है।

राजा सांसी एयरपोर्ट, शहर में बन रहे एलिवेटेड रोड और पुलों के निर्माण के श्रेय को लेकर शुरू-शुरू में अकालियों और सिद्धू में जमकर टाँग खिंचाई हुई। अब इस सब पर सोनी उनकी घेराबंदी कर रहे हैं।

बकौल सोनी- 'सारा पैसा और योजनाएँ मनमोहन सरकार की देन हैं, किसी और को इसका श्रेय देने का सवाल ही नहीं। परमाणु समझौते पर अमृतसर के गाँवों में सिखों और किसानों के मन में अंतर्द्वंद्व है। परंपरागत रूप से अकाली वोट बैंक पहली बार छिटककर कांग्रेस की तरफ जाता दिख रहा है। अकाली दल की ओर से इस इलाके में इसे बाँधे रखने के गंभीर प्रयास भी दिखते नहीं हैं।

सीमावर्ती गाँवों में विकास के सवाल हर पाँच साल के बाद हमेशा ज्यों के त्यों रहते हैं। सिद्धू इन गाँवों में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी इकाइयाँ लाने की बात कह रहे हैं, लेकिन मतदाताओं पर इसका कोई असर नहीं दिखता।

अटारी के जसवंतसिंह कहते हैं- 'बॉर्डर के गाँवों के लोगों की याद तो नेताओं को चुनाव के समय पर ही आती है।' काँटेदार तार के पार पाकिस्तान की ओर की जमीन का मुआवजा दिलाने के लिए दिल्ली में आवाज उठाने की बात कहते हैं तो सोनी का नारा साड्डा पंजाब दा मनमोहन शेर है।

शहर की हर गली व मोहल्ले से वाकिफ सोनी शहर के बाद अब गाँवों में तेजी से आगे बढ़े हैं। पैसा खर्च करने में उनका कोई मुकाबला नहीं है। अमृतसर में पहली बार किसी जाति या पंथ के नाम पर कोई ध्रुवीकरण नहीं हो रहा है।

ट्रांसपोर्ट व्यापारी गौरव सालवान कहते हैं, सिद्धू पहली बार ईमानदारी से चुनाव लड़ रहे हैं। सोनी आम आदमी की लड़ाई थाने और बड़े स्तर तक लड़ते हैं,तो सिद्धू हमेशा बड़ी लड़ाई लड़ते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता विशाल कहते हैं, अमृतसर में दलित हार-जीत का फैसला करेंगे। यहाँ बसपा के बीकेएन छिब्बर, कांग्रेस को मामूली नुकसान पहुँचाने की स्थिति में हैं।

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