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चितौड़ में हैं काँटे का मुकाबला

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चितौड़गढ़ (भाषा) , बुधवार, 29 अप्रैल 2009 (14:10 IST)
वीरों की धरती और आन-बान-शान तथा काला सोना (अफीम) की पैदावार के लिए देश-विदेश में विख्यात चितौड़गढ़ लोकसभा सीट से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. गिरिजा व्यास और विधानसभा चुनाव में हार का दंश झेल चुके भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा सांसद श्रीचंद कृपलानी के बीच काँटे का मुकाबला होगा।

परिसीमन की वजह से उदयपुर लोकसभा सीट आरक्षित हो गई, जिससे झीलों की नगरी से चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष तथा कवयित्री डॉ. गिरिजा व्यास को चितौड़गढ़ आने को मजबूर होना पड़ा।

परिसीमन के कारण उदयपुर तथा चितौड़गढ़ में बदले जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा के श्रीचंद कृपलानी और कांग्रेस उम्मीदवार गिरिजा व्यास के बीच कड़ा मुकाबला होना तय है।

देशभर में सबसे अधिक अफीम की खेती के लिए विख्यात चितौड़गढ़ लोकसभा सीट से भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा तेरह ओर उम्मीदवार किला फतह करने के लिए चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं, लेकिन इनकी आवाज नकार खाने में तूती बनकर रह गया है।

श्रीचंद कृपलानी चितौड़गढ़ से लगातार तीसरी चुनाव जीत अपने नाम दर्ज करवाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इनको मिली पराजय से कृपलानी और उनके समर्थक उबर नहीं पाये हैं। कृपलानी का विरोधी खेमा सेवा करने में जुटा हुआ है।

परिसीमन में उदयपुर का मावली और वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र चितौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र में शामिल होने के कारण गिरिजा व्यास ने इसी सीट से चुनाव लड़ना बेहतर समझा। जबकि यह भाजपा उम्मीदवार श्रीचंद कृपलानी के लिए जाना पहचाना क्षेत्र है।

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी गिरिजा व्यास बाहरी उम्मीदवार के ठपे से उभर नहीं पा रही है, तो भाजपा के श्रीचंद कृपलानी स्थानीय होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ता के साथ-साथ मतदाता भी उनकी कमियां गिनाने के आतुर है।

परिसीमन से पूर्व कोटा के लाडपुरा और रामगंज मंडी विधानसभा क्षेत्र चितौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र में होने के कारण भाजपा का इस इलाके में दबदबा था, लेकिन परिसीमन से पार्टी की स्थिति कमजोर हो जाने की चर्चा है। चितौड़गढ़ सीट पर भाजपा और इस विचार धारा के दल और कांग्रेस का दबदबा रहा है।

प्रथम आम चुनाव में जलसंघ के उमाशंकर ने विजय दर्ज करवाकर खाता खोला था, लेकिन अगले आम चुनाव में कांग्रेस के माणिक लाल वर्मा ने जलसंघ से यह सीट छीन ली। वर्मा ने तीसरे आम चुनाव में भी कब्जा बरकरार रखा।

वर्ष 1967 में हुए चौथे आम चुनाव में कांग्रेस के ओंकारलाल बोहरा 1971 में विश्वनाथ जनसंघ 1977 में श्याम सुंदर सोमानी जनता पार्टी ने चुनाव जीता। सातवें और आठवें आम चुनाव में कांग्रेस की निर्मला कुमार शक्तावत विजयी रही।

इसके उपरांत 1989 में महेंद्रसिंह भाजपा 1991 और 1996 में जसवंतसिंह भाजपा 1998 में कांग्रेस के उदयलाल अंजाना और 1999 से 2004 तक भाजपा के श्रीचंद कृपलानी ने लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

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