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चुनाव ने बिजली को दिया नया नाम

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लखनऊ (वार्ता) , शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009 (15:55 IST)
विद्युत ंकट से त्रस्त उत्तरप्रदेश में जारी लोकसभा चुनाव में बिजली भले ही मुद्दा न बन सकी हो लेकिन इस दौरान आम आदमी 'चुनावी बिजली' से रूबरू जरूर हुआ है।

राज्य के आम आदमी से लेकर राजनीति के आँगन तक यूँ तो काफी अरसे से बिजली एक अहम मुद्दा रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव की चकाचौंध में बिजली का मुद्दा अँधेरे के आगोश में समा गया है।

पाँच चरणों तक चलने वाले चुनाव में मतदान के दो चरण पूरे हो चुके हैं और इस दौरान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के अलावा चुनाव वाले क्षेत्रों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति भी चर्चा का विषय रही है। बिजली की लुकाछिपी के आदी हो चुके लोगों ने लगातार बिजली आने को पहले तो विभाग की 'भूल' माना लेकिन बाद में उन्हें यह अहसास हो गया कि यह सिर्फ' चार दिन की चाँदनी' है।

बहरहाल, चुनाव की वजह विद्युत की लगातार आपूर्ति ने 'चुनावी बिजली' शब्द को जन्म दे दिया और बराबर आ रही बिजली इसी नाम से मशहूर हो गई।

इस बारे में उत्तरप्रदेश पावर कॉरपोरेशन के सूत्रों ने आज यहाँ बताया कि राज्य सरकार ने सुचारु रूप से मतदान कराने के लिए चुनाव वाले क्षेत्रों को बिजली कटौती से मुक्त रखने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों ने बताया कि संबंधित क्षेत्रों को मतदान के दो दिन पहले विद्युत कटौती से मुक्त रखा जाता है ताकि इसकी वजह से सुरक्षा बलों को कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिल सके। इस दौरान बिजली की कमी को पूरा करने के लिए कोटे की अधिकतम सीमा के अलावा अन्य प्रदेशों से भी बिजली आयात करनी पड़ रही है।

उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम के दौरान 'पीक आवर्स' में प्रदेश की औसत 8500 मेगावाट विद्युत माँग को पूरा करने के लिए केन्द्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) के अलावा हिमाचलप्रदेश और जम्मू-कश्मीर समेत कई अन्य राज्यों से बिजली आयात की जा रही है।

पिछले एक पखवाड़े के दौरान राज्य के ताप विद्युतगृहों का औसत उत्पादन 2600 मेगावाट रहा जबकि पनबिजली क्षेत्र ने 250 मेगावाट के करीब बिजली का उत्पादन किया। माँग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए करीब एनटीपीसी से 3500 मेगावाट की बिजली आयात की जा रही है। इसके अलावा एनटीपीसी की ही टांडा इकाई से राज्य अपने कोटे की 400 मेगावाट विद्युत आयात कर रहा है।

उन्होंने बताया कि ओबरा की 200 मेगावाट क्षमता वाली नौ और दस नम्बर इकाई के अनुरक्षण में जाने से बिजली उत्पादन में आई कमी को पाटने के लिए विद्युत प्रशासन हिमाचलप्रदेश और जम्मू-कश्मीर से तीन लाख यूनिट बिजली ऊँची दरों पर खरीदने को विवश है।

इसके वावजूद भीषण गर्मी के बीच माँग और आपूर्ति के बढ़े अंतर को पाटने के लिए मतदान प्रक्रिया से गुजर चुके गोरखपुर, बलिया, गोंडा, वाराणसी और इलाहाबाद समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिसंख्य जिलों में चार से छह घंटे की कटौती की जा रही है। इन इलाकों के लोगों को अहसास है कि गर्मी के साथ.साथ राज्य में बिजली की किल्लत जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे लोगों को 'चुनावी बिजली' की याद सताएगी।

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