आप इसे महज इत्तेफाक या कुछ और कह सकते हैं कि जो राजनेता लोकसभा चुनाव से पहले जूतों की मिसाइल का शिकार बने उन सभी ने जीत का स्वाद चखा है।
केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और उद्योगपति नवीन जिन्दल चुनाव जीत गए। इन सभी पर संवाददाता सम्मेलन या चुनाव प्रचार के दौरान जूते उछाले गए।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर भी जूता उछाला गया लेकिन वे इस बार चुनावी मैदान में नहीं थे। हालाँकि वे एक विजेता के तौर पर उभरे क्योंकि उनके नेतृत्व में कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग ने सत्ता में शानदार वापसी की।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर गत महीने हासन में एक चुनावी सभा के दौरान जूता उछाला गया था। उन्होंने अपने पुत्र बीवाई राघवेन्द्र के लिए जीत सुनिश्चित की। सिंह चिदंबरम आडवाणी और जिंदल उन नेताओं में शामिल रहे जिन पर चुनाव से पहले जूते उछाले गए थे लेकिन असल में जूते उन्हें छू नहीं पाए थे।
प्रधानमंत्री पर भी गुजरात में उनकी पहली चुनावी सभा के दौरान एक छात्र ने जूता उछाला था। गत महीने आडवाणी पर एक चुनावी सभा के दौरान एक भाजपा कार्यकर्ता ने चप्पल उछाली थी। वहीं नवीन जिंदल पर स्कूल के एक सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक ने जूता फेंका था।
इसकी शुरुआत पत्रकार जनरैलसिंह के साथ हुई थी जिसने चिदंबरम पर गत आठ अप्रैल को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जूता उछाला।