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दूसरे दौर के बाद भी तस्वीर धुँधली

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-सुरेश बाफना
दूसरे चरण के मतदान के बाद भी यह सवाल अनुत्तरित है कि 15वीं लोकसभा में कांग्रेस व भाजपा में से कौन सबसे बड़े दल के रूप में उभरेगा? दोनों ही दल विश्वास के साथ दावा करने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं माकपा महासचिव प्रकाश करात का यह विश्वास मजबूत हुआ है कि इस बार गैर भाजपा व गैर कांग्रेस नेता ही प्रधानमंत्री बनेगा।

राकांपा नेता शरद पवार कांग्रेस की हार में अपनी विजय देख रहे हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस को 135 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी और ऐसी स्थिति में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावना प्रबल हो गई है। आंध्रप्रदेश में कांग्रेस को संभावना से अधिक नुकसान की आशंका है। उत्तरप्रदेश व बिहार में कांग्रेस के पुनर्जीवित होने के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन सीटों के हिसाब से स्थिति बेहतर नहीं है।

उप्र में 80 में से 33 सीटों पर मतदान हो चुका है। यहाँ मायावती की चमक कुछ कम हुई है। बिहार में 26 सीटों पर हुए मतदान में लालू-पासवान के लिए उत्साहजनक खबर नहीं है। आंध्र में कहना मुश्किल है कि अभिनेता चिरंजीवी की पार्टी ने तेदेपा व कांग्रेस में से किसे अधिक नुकसान पहुँचाया है। मध्यप्रदेश की 29 में से 13 सीटों पर पहले चरण का मतदान पूरा हुआ। पिछले चुनाव में भाजपा ने 29 में से 25 पर विजय पाई थी।

इस बार दो-तीन सीटें कम हो सकती हैं। झारखंड की सभी 14 सीटों पर मतदान हो गया है। कांग्रेस स्वयं मानती है भाजपा- जदयू गठबंधन बेहतर स्थिति में है। उड़ीसा में 21 सीटों में से कांग्रेस को 7-8 सीटें मिलने की उम्मीद है।

महाराष्ट्र की 48 में से 38 सीटों पर मतदान पूरा होने के बाद कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को 25-26 सीटें मिलने की उम्मीद है। कर्नाटक की 28 में से 17 सीटों पर वोट पड़ गए हैं। उत्तरी कर्नाटक में भाजपा तो बेंगलुरू के आसपास कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। असम में अगप व भाजपा गठबंधन बेहतर स्थिति में लगता है। केरल में 20 सीटों में से यूडीएफ को 12-13 सीटें मिल सकती हैं। त्रिपुरा की दोनों सीटें माकपा की झोली में जा सकती हैं।

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