-हेमंत पाल
लोकसभा चुनाव के पहले दौर में प्रदेश की उन 13 सीटों पर वोट डाले जाएँगे, जहाँ भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में 13 में से 12 सीटों पर भाजपा ने जीत का डंका बजाया था। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भी यहाँ भाजपा का जोर चला। पहले दौर के मतदान वाली सीटों में मंडला अकेला संसदीय क्षेत्र है, जहाँ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से बढ़त ली।
बस यहीं दिखी कांग्रेस : मंडला को पिछले लोकसभा चुनाव तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रभाव वाला इलाका माना जाता रहा है, लेकिन गोंगपा में पड़ी दरार के बाद कांग्रेस ने अपने पक्ष में जनाधार तैयार किया।
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से 4,13,000 वोट मिले। इसके मुकाबले भाजपा को 3,44,347 वोट मिले। दोनों के बीच यह अंतर रहा 68,653 वोट। पिछले लोकसभा चुनाव में यहाँ भाजपा के फग्गनसिंह कुलस्ते 64,897 वोट से जीते थे। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी गोंगपा के हीरासिंह मरकाम थे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई थी।
यहाँ है भाजपा भारी : खजुराहो संसदीय क्षेत्र में हमेशा ही भाजपा का असर रहा है। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने यहाँ कांग्रेस को पीछे छोड़ा। भाजपा के उम्मीदवारों को मतदाताओं से 2,13,279 वोटों का समर्थन मिला, जबकि कांग्रेस को 1,96,227 वोट मिले। दोनों दलों को प्राप्त वोटों अंतर रहा 17,052, जो भाजपा को ताकतवर बनाता है। बहोरीबंद सीट भाजपा ने जनतादल (यू) के लिए छोड़ी थी। पिछला लोकसभा चुनाव यहाँ से भाजपा के डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया ने कांग्रेस के सत्यवृत चतुर्वेदी को 1,11781 वोट से हराकर जीता था।
सतना संसदीय क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण परिवर्तनशील हैं। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार अपने निकटतमप्रतिद्वंद्वियों पर भारी रहे। यहाँ भाजपा के आठों उम्मीदवारों को मिले वोटों का जोड़ 2,34,173 रहा, जो कांग्रेस को मिले 1,78,728 से 55,445 ज्यादा थे, जबकि भाजपा के गणेशसिंह ने 2004 का लोकसभा चुनाव यहाँ से 83,590 वोट से जीता था। उन्होंने कांग्रेस के राजेन्द्रकुमार सिंह को मात दी थी।
रीवा संसदीय क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से लगता है। इस इलाके में बहुजन समाज पार्टी के प्रभाव होने की संभावना जताई जाती है, लेकिन विधानसभा चुनाव में यह अनुमान गलत साबित हुआ। यहाँ भाजपा ने अपनी पकड़ बनाए रखी और 2,02,343 वोट पाए। इसके मुकाबले कांग्रेस को 1,41,280 वोट मिले। इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने 61,063 वोट की लीड ली थी। जहाँ तक पिछले लोकसभा चुनाव का सवाल है तो यहाँ से भाजपा के चंद्रमणि त्रिपाठी ने बसपा के प्रदीपकुमार पटेल को 44,752 से मात दी थी। कांग्रेस यहाँ तीसरे नंबर पर खिसक गई थी।
सीधी संसदीय क्षेत्र भी उत्तरप्रदेश का सीमावर्ती इलाका है। इस कारण विधानसभा चुनाव के दौरान अनुमान लगाया गया था कि यहाँ बहुजन समाज पार्टी का असर रहेगा, किंतु ऐसा नहीं हुआ और भाजपा ने बढ़त ली। भाजपा को आठों विधानसभा क्षेत्रों से कुल 3,64,920 वोट मिले, जबकि कांग्रेस ने 3,12,055 वोट जुटाए। अंतर रहा 52,865 वोट का। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के चंद्रप्रतापसिंह ने कांग्रेस के तिलकराज सिंह को 49,565 के अंतर से हराया था।
शहडोल संसदीय क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी अपना प्रभाव छोड़ा, लेकिन आँकड़ों की बाजीगरी भाजपा के पक्ष में रही। आठ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को 3,19,552 वोट मिले और कांग्रेस को 2,32,811 वोट। भाजपा को 86,741 वोट की बढ़त मिली। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दलपतसिंह परस्ते ने कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह को 29, 349 वोट से मात दी थी।
जबलपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा का प्रभाव बरकरार है। विधानसभा चुनाव में यहाँ से भाजपा के खाते में 3,93,068 वोट पड़े। कांग्रेस को मिले 2,84,231 वोट, जो भाजपा को मिले वोटों से 1,08,837 कम हैं। यहाँ से लोकसभा का पिछला चुनाव भाजपा के राकेश सिंह ने कांग्रेस के विश्वनाथ दुबे को 99,531 वोटों से हराकर जीता था।
बालाघाट संसदीय क्षेत्र में भाजपा का असर विधानसभा चुनाव के दौरान भी बरकरार रहा। यहाँ तीसरे मोर्चे के उम्मीदवारों ने भी अच्छी ताकत दिखाई थी। आठों विधानसभा से भाजपा को कुल 3,34,604 वोट मिले और कांग्रेस को 2,65,443 वोट।
दोनों प्रमुख दलों के बीच के अंतर ने भाजपा को 69,161 वोट से मजबूती दी। यहाँ से लोकसभा का पिछला चुनाव भाजपा के गौरीशंकर चतुर्भुज ने जनता पार्टी के कंकर मुंजारे को 87,758 वोट से पटखनी देकर जीता था। अनुमान लगाया जा सकता है कि यहाँ कांग्रेस कहाँ है?
छिंदवाड़ा एकमात्र ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहाँ कांग्रेस अपने असर का दावा करती रही है। कमलनाथ जैसे भारी भरकम नेता के कारण कांग्रेस को मजबूती मिलती रही है, लेकिन आश्चर्यजनक बात यह कि विधानसभा चुनाव में यहाँ भी भाजपा ने पलड़ा अपने पक्ष में झुका लिया।
तीसरे मोर्चे के उम्मीदवारों का भी यहाँ अच्छा खासा असर दिखाई दिया, किंतु बढ़त ली भाजपा ने। भाजपा को कुल वोट मिले 3,12,286 और कांग्रेस को 3,08,859 वोट। इस हिसाब से भाजपा को 03,624 वोट ज्यादा मिले। इस इलाके से लंबे समय से कमलनाथ जीतते रहे हैं। पिछला चुनाव भी उन्होंने भाजपा के प्रहलाद पटेल को 63,708 वोट से हराकर जीता था।
होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में भाजपा लंबे समय से अपना कमाल दिखा रही है। विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी यह साबित हो गया। यहाँ भाजपा के उम्मीदवारों ने कुल 3,63,575 वोट जुटाए। कांग्रेस को मिले 3,13,365 वोट, आशय यह कि भाजपा को यहाँ 50,110 वोटों की बढ़त मिली। इस संसदीय सीट से पिछला चुनाव भाजपा के सरताज सिंह ने कांग्रेस के ओमप्रकाश रघुवंशी को 1,36,409 वोट से हराकर जीता था।
बैतूल संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा ने हमेशा अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया है। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के उम्मीदवार को 364920 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के खाते में गए 312055 वोट, जो कि भाजपा को मिलने वाले वोटों से 52865 कम हैं।
जहाँ तक लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रभाव का सवाल है तो यहाँ से भाजपा के विजयकुमार खंडेलवाल ने पिछला चुनाव कांग्रेस के राजेंद्र जायसवाल को 157540 वोट से हराकर जीता था। यहाँ इस बार उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के हेमंत खंडेलवाल विजयी रहे थे।