कम समय में ज्यादा जगह दस्तक देने के लिए उड़ान भर रहे नेता या उम्मीदवार निर्वाचन आयोग के निशाने पर हैं। इनकी हर हरकत पर केन्द्रीय पर्यवेक्षक की चौकस निगाहें हैं। हेलिकॉप्टर के उड़ान भरने से लेकर उतरने तक लगने वाले समय, हेलीपैड और यात्रा में होने वाले खर्च का ब्योरा जुटाया जा रहा है ताकि इसका व्यय लेखा से मिलान कर वास्तविक खर्च का अनुमान लगाया जा सके। रविवार को निर्वाचन आयुक्त की समीक्षा बैठक में भी हवाई खर्च की गणना का मुद्दा उठा था।
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखने की जिम्मेदारी बाहरी अधिकारियों को इस मंशा के साथ सौंपी है कि वे बिना किसी प्रभाव में आए सही मूल्यांकन कर सकें।
पहले चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में छिंदवा़ड़ा से कांग्रेस के उम्मीदवार कमलनाथ ने हेलिकॉप्टर का बहुत इस्तेमाल किया। निर्वाचन कार्यालय को मिली रिपोर्ट के मुताबिक प्रचार के अंतिम दिनों में रोजाना दस-दस बार हेलिकॉप्टर से उम्मीदवार ने उड़ान भरी। यही हाल दूसरे चरण के प्रचार के अंतिम दिनों में मुरैना से भाजपा के उम्मीदवार नरेन्द्रसिंह तोमर का है। वे भी हेलिकॉप्टर से ज्यादा से ज्यादा जगह पहुँचने में जुटे हैं।
इस पर यूँ तो आयोग की कोई रोक नहीं है, लेकिन देखा गया है कि उम्मीदवार चुनाव खर्च के ब्योरे में इसका आधा-अधूरा हवाला देकर खर्च बचा जाते हैं। निर्वाचन कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करने वाले उम्मीदवार यात्रा अवधि का ब्योरा देते हैं, जबकि लैंडिंग के बाद जितनी देर हेलिकॉप्टर खड़ा रहता है उसका भी किराया चुनाव खर्च में शामिल होना चाहिए।
स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने की वजह से जिलों में अधिकारियों को खासी परेशानी का सामना करना प़ड़ा रहा है। निर्वाचन आयुक्तद्वय की बैठक में भी इस संबंध में मार्गदर्शन माँगा गया, लेकिन उन्होंने बताया कि इसको लेकर आयोग की अभी कोई गाइडलाइन नहीं है। आगे आने वाले चुनावों में इसके नियम तैयार किए जाएँगे।