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विशेष दर्जा समर्थन देने की बुनियाद : नीतीश

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पटना (भाषा) , शुक्रवार, 15 मई 2009 (17:15 IST)
केंद्र की वर्तमान सरकार पर बिहार के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बिहार के सभी दलों और राजनेताओं से आह्‍वान किया कि वह प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की शर्त पर ही केंद्र में बनने वाली अगली सरकार को अपना समर्थन दें।

नीतीश ने स्वयं द्वारा अनुमोदित अंग्रेजी भाषा में लिखी गई 'स्पेशल कैटेगोरी स्टेटस : ए केस फॉर बिहार' नामक विनिबंध (मोनोग्राफ) को जारी करने के बाद पटना में कहा कि सभी दल और गठबंधन इस बात का दावा कर रहे हैं कि दिल्ली में अगली सरकार वे ही बनाएँगे।

ऐसे में वे बिहार के सभी दलों और राजनेताओं से आह्वान करते हैं कि वह प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की शर्त पर ही चुनाव के बाद केंद्र में बनने वाली अगली सरकार को अपना समर्थन दें।

एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (आद्री) और एक स्वयं सेवी संगठन द्वारा प्रकाशित अस्सी पृष्ठ वाले इस पुस्तक का विमोचन जानेमाने अर्थशास्त्री और लेखक लॉर्ड मेघनाद जगदीशचंद्र देसाई ने की।

हालाँकि नीतीश अबतक यह कहते आए हैं कि वह राजग में शामिल हैं और आगे भी इसी में बने रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े तीन साल पहले नवंबर 2005 में बिहार की कमान संभालने के बाद ही नीतीश ने राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने को लेकर बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से एक अध्यादेश पारित कर इस बारे में केंद्र सरकार को सूचित कर दिया था। इसके लिए उनके द्वारा लगातार प्रयास जारी है।

विमोचन के बाद नीतीश से जब यह पूछा गया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की उनकी माँग को पूरा करने को अगर कांग्रेस तैयार होती है तो उसे केंद्र में सरकार बनाने में क्या वे अपना सर्मथन देंगे, उन्होंने इसे एक काल्पनिक सवाल की संज्ञा देते हुए कहा बिहार में औद्योगिकीकरण का बेहतर माहौल है। ऐसे में सभी दलों को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

तीसरे मोर्चे द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री के पद के दावेदार के रूप में प्रस्तुत किए जाने की खबरों पर नीतीश ने कहा कि वह उस लायक नहीं है। वह इसका ख्वाब नहीं देखते।

केंद्र में सरकार बनाने को लेकर राजग को छोड़कर वामदल या किसी अन्य दल के बातचीत होने से इनकार करते हुए नीतीश ने कहा कि चुनाव परिणाम आने में अब केवल 20 घंटे ही बचे हैं इसलिए लोगों को परिणाम आने तक इंतजार करना चहिए।

नीतीश द्वारा अनुमोदित आज जारी की गई इस पुस्तक को लेकर कल उस समय विवाद खड़ा हो गया जब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के आर्थिक योजना और अध्ययन केंद्र के एक शोधार्थी अतुल कुमार सिंह ने उसे अपना शोध पत्र बताते हुए उसका श्रेय नीतीश पर लेने का आरोप लगाया।

अतुल कुमार सिंह ने कल नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में एक विजिटिंग फेलो के रूप में मैंने अपना शोध कार्य पूरा किया है। अब नीतीश उसी शोध कार्य का श्रेय खुद ले रहे हैं और उसे लिखने का दावा कर रहे हैं। यह नकल का मामला है।

विदित हो कि उक्त पुस्तक के विमोचन समारोह को कवर करने के लिए कल आद्री द्वारा मीडिया को भेजे गए निमंत्रण कार्ड में भी नीतीश को उक्त पुस्तक का लेखक बताया गया था लेकिन शुक्रवार को अंतिम क्षण में यह बताया कि यह पुस्तक नीतीश द्वारा केवल अनुमोदित की गई है।

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