विनोद अग्निहोत्री
करीब पौने दो सौ छोटी-बड़ी जनसभाएँ, जनसंपर्क अभियान, युवाओं को आगे लाने की मुहिम और पार्टी को उत्तर भारत (उप्र और बिहार) में अपने बलबूते खड़ा करने की कवायद ने कांग्रेसी सियासत के आसमान पर राहुल गाँधी को सुपर स्टार बना दिया है। जिन्हें उनके शुरुआती राजनीतिक जीवन को देखकर मायूसी होती थी, वे भी अब इस युवा गाँधी के कायल हैं कि अपनी मेहनत और दूरगामी रणनीति से राहुल ने आखिर अपना करिश्मा पैदा कर लिया।
उप्र में अगर राहुल की रणनीति कामयाब रही है तो पूरे देश में उनका करिश्मा सामने आया है। करीब दो साल से देश को करीब से समझने के अपने भारत दर्शन अभियान के तहत राहुल अमेठी और रायबरेली से निकलकर बुंदेलखंड की सूखी धरती, छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों, सांप्रदायिकता से झुलसे उड़ीसा और कर्नाटक, भाजपा के दुर्ग गुजरात, वाम मोर्चे के गढ़ प.बंगाल के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु सब जगह गए।
कभी दलित के घर में रोटी खाई, तो कभी किसी गरीब की झोपड़ी में रात बिताई। राहुल के इन कामों का मँजे हुए नेताओं ने मजाक भी बनाया। किसी ने उन्हें बच्चा कहा तो किसी ने उनके नहाने के साबुन तक पर कटाक्ष किया, लेकिन राहुल अपनी अग्निपरीक्षा में खरे उतरे और खामोशी से जनता के दिल में गहरे उतरते चले गए।
पंजाब हो या मध्यप्रदेश, यह राहुल का ही चमत्कार है कि भाजपा और अकाली दल के दिग्गजों को राहुल के उन युवा नेताओं ने चित किया है जिन्हें युवक कांग्रेस और एनएसयूआई में सांगठनिक लोकतंत्र के अपने नए प्रयोग के जरिए राहुल ने आगे बढ़ाया।