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हमेशा विजयी पक्ष में रहे हैं पवार

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नई दिल्ली , रविवार, 24 मई 2009 (10:53 IST)
कृषि, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में दोबारा लौटे राकांपा नेता शरद पवार के लिए सत्ता के गलियारों में लौटना कोई नई बात नहीं है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उनके शपथ ग्रहण ने विजयी पक्ष में हमेशा बने रहने की उनकी क्षमता एक बार फिर साबित कर दी।

एक दशक पहले कांग्रेस से अपनी राहें अलग करने वाले 68 वर्षीय मराठा नेता कभी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं हारे। वे शायद ही कभी सत्ता के गलियारों से अलग रहे हैं।

कांग्रेस से अलग होने के बाद भी वे टिके रहे और उन गिने-चुने नेताओं में रहे जिन्होंने अपना प्रभाव बरकरार रखा। वे एक परिणामवादी राजनीतिज्ञ हैं और इसी कारण वे इसमें सफल रहे।

सोनिया गाँधी के विदेशी मूल के सवाल पर 1999 में कांग्रेस के खेमे से अलग होने के कुछ ही महीनों बाद उनकी पार्टी राकांपा ने महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सत्ता में भागीदारी की। तब पवार ने दलील दी कि सोनिया गाँधी का मुद्दा राज्य स्तर पर प्रासंगिक नहीं है।

पाँच साल पहले जब कांग्रेस गठबंधन के रास्ते केन्द्र की सत्ता में पहुँची तो पवार की पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल थी। वह उस मुद्दे को पूरी तरह दरकिनार कर चुकी थी जिसके आधार पर उसका गठन हुआ था।-भाषा

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