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चला गया बेदर्दी मन को तड़पा के

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विशाल मिश्रा

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शहमेबाँध परियोजना के लिए आया इंजीनियरों का दल। स्थानीय लड़कियों के दल से उनकी आँखें लड़ीं और देखते ही देखते 6-7 जोड़ों को प्रेम रोग लग गया। इनमें सबसे ज्यादा सिंसियर निलेश है जोकि हर चीज को संजीदगी से लेता है। शेष टाइम पास करना ज्यादा बेहतर समझते हैं और ऐसा ही कुछ हाल लड़कियों के दल का भी है, इनमें रचना ही गंभीर है और स्वभाववश उसकी जोड़ी निलेश से बनी है।

क्लास बंक कर डेटिंग पर जाना इनका शगल बन गया है। 3-4 साल से साथ रहते-रहते इनके प्यार को पर लगे और शादी तक करने को राजी निलेश-रचना हो गए। रचना की सहेलियों की उसे नसीहत थी कि यह सब दूसरी जगह से आए हैं, इस रिश्ते में इतनी रुचि न ले।

लेकिन इसके उलट रचना की सहेलियों को सलाह होती कि यदि उन्हें भी करना है तो सच्चा प्यार करें अन्यथा प्यार के नाम पर यह खिलवाड़ बंद कर दें। डैम प्रोजेक्ट पूरा होने पर सभी इंजीनियर दोस्त लौटकर अपने घर गए। जाने के बाद शुरू-शुरू में तो ‍निलेश के फोन रचना के पास आते रहे। लेकिन बाद में एकदम बंद हो गए।

काफी जोर डालने के बाद जब रचना की निलेश से बात हुई तो उसने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करने से मना कर दिया। उसके इस अप्रत्याशित फैसले ने रचना को अंदर तक हिलाकर रख दिया। कहते हैं न कि दिल के टूटने की आवाज नहीं होती, आज इस अनुभव से रचना गुजरी और सहेलियों की सलाह उसे रह-रहकर याद आ रही थी। उस बेदर्दी की याद में रो-रोकर दिन काटने को मजबूर रचना अपने आपको दोष देते नहीं थकती।

किसी बेवफा की खातिर ये जुनूँ फराज़ कब तक,
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ - अहमद फराज़

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