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ताकि बना रहे प्‍यार...

छोटी बातों से प्‍यार न हो कम

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हमें फॉलो करें रोमांस इश्क प्रेम मोहब्बत प्यार लव डेटिंग शादी
विशाल मिश्रा

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वर-वधू के सात फेरों के साथ सात जन्मों तक का साथ बँध जाता है लेकिन ऐसा क्या होता है कि बमुश्किल सात वर्षों के बाद ही दोनों में प्यार, रोमांस नाम की कोई चीज नहीं रहती।

कोई युगल एक साथ बैठकर प्रेम से बात कर रहा हो तो दूर से ही कोई बता सकता है कि मियाँ-बीवी तो हो नहीं सकते, प्रेमी युगल ही होगा। आम जीवन आखिर इन वर्षों में यह प्यार इत्र की खुशबू की भाँ‍ति कहाँ उड़ जाता है।

रोचक बात यह कि इस समस्या का आपके स्टेटस से कोई लेना-देना नहीं होता। चाहे आप निम्नवर्गीय हों, मध्यमवर्गीय या उच्च वर्ग से जुड़े हों। यह परेशानी सभी घरों की है। धीरे-धीरे समय बीतने के साथ और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ तले इसमें गिरावट आती जाती है।

आखिर यह सिलसिला बरकरार क्यों नहीं रह पाता। कहीं-कहीं नौबत लड़ाई-झगड़े से शुरू होकर तलाक तक आ जाती है।

इन सबकी शुरुआत छोटे-छोटे कारणों से होती है। जरा इन पर गौर करें -

1. पति-पत्नी का ईगो टकराता है। ईगो एक ऐसी आम समस्या है जोकि लगभग प्रत्येक व्यक्ति के अंदर ‍आपको मिलेगी। कोई किसी बात पर तो कोई किसी बात का अहंकार पाले बैठा रहता है। किसी को कम तो किसी को ज्यादा होता जरूर है।

आजकल तो टीवी धारावाहिक अच्छे खासे कारण बने बैठे हैं कभी श्रीमान जी का मन हुआ कि न्यूज चैनल लगाएँ या गाने सुनें तो श्रीमती जी को जी टीवी या स्टार प्लस के सीरियल देखना हैं। कभी-कभी लगता है दोनों की टीवी अलग-अलग लेकर बैठ जाएँ। इस बुद्धू बक्से ने मियाँ-बीवी को बुद्धू बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है।

या फिर मान लो मम्मी ने बेटे को बोल दिया फलां काम कर दो तो पापा ने उसे मना कर दिया। हो सकता है मना करने का कारण उचित हो कि फलाँ सामान उठेगा नहीं बच्चे से, या वह गिर जाएगा आदि-आदि। लेकिन ऐसी स्थिति में सारी चीजें कोने में धरी रह जाती हैं, ईगो उन सब पर हावी हो जाता है और यह ईगो जहाँ घुसा कि कलह होना निश्चित है।

2. समय पर तैयार न होना - दोनों में से कोई भी एक समय पर तैयार होकर बैठ गया और जरा वेट करना पड़ा ‍कि कहा-सुनी शुरू। या तो पुरानी बातें याद दिलाई जाएँगी मेरे को तो वैसा कहते हो, खुद टाइम पर तैयार नहीं होते वगैरह-वगैरह।

3. जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालना - शादी के समय शुरू-शुरू में जहाँ दोनों एक-दूसरे का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखते हैं। आगे से आगे बढ़कर पहले आप, पहले आप लगा रहता है बाद में यह स्थिति उलट होती जाती है। तुमने मेरा कपड़े इस्तरी नहीं किए, बच्चों को होमवर्क नहीं कराया तो तुमने मेरा मेकअप बॉक्स नहीं दिलाया, तो मुझे मायके जाने नहीं दिया। मतलब कि एक-दूसरे पर कुछ न कुछ दोषारोपण।

4. फोन कॉल्स या एसएमएस आए दोस्तों के जाँच-पड़ताल शुरू। जासूस की मानिंद सवाल-जवाब फलाँ व्यक्ति कौन है आदि। ये बातें भले ही झगड़े की मुख्‍य वजह न बनें लेकिन झगड़ते समय सामने जरूर आएँगी। क्योंकि कोई बीवी नहीं चाहेगी कि उसके पति का संबंध किसी लड़की से हो और मियाँ जी भी ऐसी ही अपेक्षा रखेंगे।

कारण छोटे-छोटे हैं अब ध्यान दें इनसे बचने के उपाय। जब घर-परिवार टूटने की नौबत आती है तो फिर बचा ही क्या है आपके जीवन में। स्थिति पारिवारिक झगड़े और तलाक तक आ जाती है और इनकी शुरुआत हुई कहाँ से। उपरोक्त बिंदु देखेंगे तो विश्वास नहीं होगा कि इस तलाक की जड़ में था क्या? छोटा-मोटा विवाद।

तो इन सबसे अच्छा है थोड़ा समय निकालकर ठंडे दिमाग से काम लें। संतोष, धैर्य, सकारात्मक सोच से इन सबसे निपटा जा सकता है और सुखी दांपत्य जीवन का आनंद लिया जा सकता है।

* दोनों कॉमन सीरियल्स ढूँढ लें या फिर थोड़ा एक-दूसरे से एडजस्ट कर लें।
हो सकता है जिन सीरियल्स से आप चिढ़ते हों उनमें इंट्रेस्ट जाग जाए।

* कभी बच्चों का होमवर्क करा दिया या लंच बॉक्स में देरी हो रही है तो किचन में मैडम की हेल्प कर दी। लंच भी जल्दी रेडी हो जाएगा और बीवी भी खुश।

* मिस्टर यदि पहले तैयार हो गए हैं और श्रीमती जी मेकअप में लगी हैं तो तब तक बच्चों को तैयार कर लें, या साथ रखने का सामान रखने में मदद कर लें। गाड़ी रेडी कर लें, मोबाइल के इनबॉक्स में पड़े एसएमएस निकालकर पढ़ लें या फिर किसी को कर दें।

मान लें कि इतनी देर रेड लाइट सिग्नल पर रुके हैं या जाम में फँस गए हैं और इसके बाद भी झगड़ने का मूड हो तो किसी भरोसेमंद दोस्त को फोन लगाएँ। बाकायदा समय लेकर वहाँ जाएँ और अपने मन की गुबार निकाल दें ताकि बीच-बचाव करने वाले भी आपके साथ रहेंगे और आपको समझा-बुझा देंगे क्योंकि आप याद करें ‍बगैर किसी कार्यक्रम के उसके यहाँ गए ही नहीं होंगे तो इस बहाने मेल-मुलाकात भी हो जाएगी लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कहीं आपके कारण मित्र दंपत्ति आपस में न झगड़ने लगें।

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