प्यार को व्यक्ति अपने-अपने अनुभव के आधार पर परिभाषित करता है। कोई इसे अद्भुत, रोमांचक मानकर जिंदगी कहता है तो कोई कड़वे अनुभव के आधार पर जीवन भर न भूल सकने वाली सजा।
प्यार को यदि सही ढंग से किया जाए तो वह जिंदगी का सबसे बेहतर रिश्ता होता है, जिसमें किसी बंधन का नहीं अपितु आजादी का अहसास होता है।
कहते हैं ना कि कभी-कभी जल्दबाजी व नासमझी के कारण लिया गया अच्छा फैसला भी जी का जंजाल बन जाता है। ऐसा ही कुछ अनसक्सेसफुल लव मैरिज कपल्स या प्यार में असफल होने पर भी होता है। अपने प्यार को जीवनभर के लिए अपनाने का उनका फैसला तो बहुत अच्छा होता है परंतु उस फैसले में जल्दबाजी कई बार दु:खदायी हो जाती है और इस गलती को छुपाने के लिए वो प्यार को ही दोष देने लगते हैं, जो गलत है।
गलती तो हमसे ही कहीं हो जाती है जिसके परिणाम गलती करने वालों को ही भुगतना होते हैं। प्यार जिंदगी देना जानता है, जिंदगी लेना नहीं। यह तो वह रिश्ता होता है, जो हमारे दु:ख-दर्दों के घाव पर प्यार का मरहम लगाता है और हमारे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर देता है।
प्यार का पर्याय तो मुस्कुराहट होता है। अब आप ही आँकलन कीजिए कि यदि आपको इस रिश्ते में छटपटाहट बंधन और खौफ का अहसास होता है तो माफ कीजिए आपका वो रिश्ता प्यार का रिश्ता नहीं है बल्कि मजबूरी का रिश्ता है।
बेहतर होगा कि आप स्वयं का और फिर अपने प्यार का सही समय पर मूल्यांकन करें ताकि भविष्य में दो जिन्दगियाँ तबाह होने से बच जाएँ और यह सुन्दर सा रिश्ता लज्जित ना हो। (वेबदुनिया फीचर डेस्क)