किसी शायर ने क्या खूब लिखा है-
यूं इस दिल-ए-नादां से रिश्तों का भरम टूटा,
हो चाहे झूठी कसम टूटी या झूठा सनम टूटा।
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गलती का एहसास है जरूरी
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इंसान से गलती हो जाती
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माफी मांगने में शर्म कैसी
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माफी मंगवाने की जिद न ठानें
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हरदम गलती का जिक्र या दोषारोपण न करें
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सोच-समझकर कदम बढ़ाएं
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बेवजह शक न करें
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दोनों पक्ष मिलकर प्रयास करें
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