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समझ की मैचिंग है जरूरी

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- नि‍र्मला भुराड़ि‍या

ND
कहते हैं जोड़ि‍याँ स्‍वर्ग में बनती हैं। यूँ भी कह सकते हैं कि‍ जो जि‍सके लि‍ए बना है वो उसे मि‍ल जाए तो जीवन स्‍वर्ग बन जाता है। हमारे यहाँ इसे राम मि‍लाए जोड़ी कहा जाता है तो नए संदर्भों में 'मेड फॉर ईच अदर' का जुमला पॉपुलर है। आज के जमाने में इस एक दूजेपन को सामाजि‍क तौर पर एक्‍प्रेस करने का भी रि‍वाज है।

जैसे हाई एंड पार्टि‍यों में लाइफ पार्टनर हाथ में हाथ डाले, एक दूसरे से मैच करने वाले कपड़े पहनकर आते हैं। सगाई-शादी में रस्‍मों-रि‍वाजों के पहले यह तय कर लि‍या जाता है कि‍ दुल्‍हन कि‍स रंग के कपड़े पहनेगी, ताकि‍ दूल्‍हा भी उससे मैच करते हुए कपड़े पहने।

कपल में 'एक-दूजे के लि‍ए' वाली फीलिंग कि‍स हद तक है यह जानने के लि‍ए पार्टि‍यों में इस तरह की पहेलि‍याँ भी पूछी जाती हैं जि‍नमें लड़की से लड़के की पसंद का रंग, उसकी पसंद का खाना, उसकी पसंद का गाना, लड़के से लड़की की पसंद की मूवी, उसकी मम्मी का बर्थडे आदि‍ सवाल पूछे जाते हैं। आशय यही है कि‍ वो एक-दूसरे को कि‍तना जानते-समझते, चाहते हैं। यह अच्‍छा ही है, हैप्‍पी मैरि‍ड लाइफ सबसे बड़ा वरदान है।

जब हम कवि‍यों, लेखकों, कलाकारों, चि‍त्रकारों, संगीतकारों की बात करते हैं तो अक्‍सर एक शब्‍द बार-बार उपयोग में आता है प्रेरणा या म्‍यूज। क्रि‍एट करने वाला कोई भी हो लड़का या लड़की, उसके लि‍ए प्रेरणा देने वाले व्‍यक्ति‍ की भूमि‍का महत्‍वपूर्ण होती है। आप यह कह सकते हैं कि‍ चि‍त्रकार के लि‍ए ब्रश और कैनवास जि‍तना इंपॉर्टेंट हैं उतना ही उसे उस पेंटिंग को बनाने के लि‍ए प्रेरि‍त करने वाला भी इंपॉर्टेंट होता है।

सच कहें तो हर कि‍सी को लाइफ में ऐसे ही इंस्‍पायर करने वाले की पर्सन की जरूरत होती है जो उसके सपना और इच्‍छाओं का आदर करें, उसके मन को समझे। यह एक दूजापन कपड़ों की मैचिंग से बहुत ऊपर है। अपनी पसंदगी दूसरों के ऊपर थोपने वाला, अपनी नापसंदगी अथवा स्‍वार्थ की वजह से दूसरों की इच्‍छाओं को दबाने-कुचलने वाला साथी अपने साथी का मन रखना नहीं जानता, उसका मन पढ़ लेना तो दूर की बात है।

सच्‍चे अर्थों में एक-दूसरे के साथी तो वे तब हो जाते हैं जब वे एक दूसरे का मन पढ़ने लगते हैं, एक-दूसरे को उनके सपनों और इच्‍छाओं को पूरी करने में मदद करते हैं। वे मैचिंग कपड़े पहने या ना पहने, हाथ में हाथ डालकर चले या ना चलें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कि‍सी को चाहने के साथ उसके सपनो को भी चाहना, उन्‍हें पूरा होते देख खुद खुश होना सच्‍ची चाहत की नि‍शानी है। जब आप कि‍सी से प्‍यार करते हैं तो उसकी जीत और खुशि‍याँ आपकी हो जाती हैं।

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