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साथी की नादानी पर दिखाएँ समझदारी

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मानसी

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हेलो दोस्तो! नया साल शुरू हो चुका है। पर आपके दिल में हौले से यह खयाल उठता है कि आखिर इस नए साल में ऐसा नया क्या है जिसे महसूस कर जीवन में नई गति आ सके। वही गिला-शिकवा, वही नाते-रिश्ते, मुश्किलात वही और तो और, मानव-खुशी के अंदाजे बयाँ वही।

सच है, पिछले वर्ष के ताने-बाने से ही इस वर्ष का भविष्य भी बुना जाएगा। पर, केवल एक चीज नई करने से आपका पुराना, सुस्त, थका-हारा जीवन नई उमंग से भर सकता है। वह है आपका नजरिया। यदि आपने जीवन के सारे हालात व समस्याएँ नए दृष्टिकोण से देखनी शुरू कीं तो हर बेजान चीजों में भी जान आ जाएगी। सारे रूखे-फीके रिश्तों में भी प्यार की चाशनी लगाई जा सकेगी और जिन्होंने गलतियाँ की हैं उन्हें माफ करने में फख्र महसूस होगा। किसी अपने को माफ करना, एक और मौका देना बहुत ही सुकून भरी सोच होती है। पर यह माफी सच्चे दिल से होनी चाहिए।

किसी की बार-बार की गलती से बेहद हताश हैं अरुण शर्मा (बदला हुआ नाम) अरुण ने नीता (बदला हुआ नाम) से छुपकर शादी की है पर दोनों अपने-अपने घरों में रहते हैं। अलग रहते हुए दोनों के बीच बहुत सारी गलतफहमियाँ हो गई हैं। अरुण को लगता है कि नीता उससे कई प्रकार के झूठ बोलती है। कभी कहती है, वह शहर में है जबकि वह शहर में नहीं रहती है। उसका आस-पड़ोस भी उसे झूठा ही कहता है और गंभीरता से नहीं लेते हैं। अब अरुण को लगता है कि वह इस रिश्ते को आगे बढ़ाए या नहीं। नीता पर कितना भरोसा करे।

अरुण जी, शादी जैसा बड़ा कदम उठाकर आसानी से पीछे हटना न तो संभव है और न ही सही। चाहे आपके परिवार वाले न जानते हों पर है तो यह एक पेचीदा समस्या। इसका कानूनी भाग तो एक जटिल पहलू है ही पर उससे भी जटिल है आप दोनों के दिल व दिमाग का सुकून। झूठ बोलना कई लोगों के व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है। उन्हें लगता है झूठ बोलने से चीजें ज्यादा आसान व सरल हो जाएँगी।

सामने वाले के बारे में उनका अपना आकलन होता है, जिसमें वह बोले जाने वाले सच की प्रतिक्रिया से डर जाते हैं। इसलिए वे तुरंत सच को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। यह भी संभव है कि उसके अतीत में कभी सच बोलने का अनुभव बहुत कड़वा रहा हो। यही कारण है कि झूठ बोलना ही वह सही समझ रही हो।

मनुष्य के भीतर परिवार के व्यवहार व रवैये के कारण भी कई ग्रंथियाँ पैदा हो जाती हैं। दूसरे क्या कहते हैं इस पर न जाकर आप उससे बात करें। आप उस पर भरोसा व प्यार दिखाएँ तो खुद उसे भी यह भरोसा हो जाएगा कि यहाँ इस प्रकार की बात धैर्य से सुनी जाएगी और कुछ गड़बड़ हो जाने पर पचाई भी जाएगी। यदि सामने वाला हर कुछ संतुलित व दुरुस्त चाहता है उससे भी दूसरा घबरा कर असहज हो जाता है और बचने के लिए बेसिर पैर के झूठ बोलने लगता है।

यह सच है कि जो लोग आमतौर पर झूठ नहीं बोलते हैं उन्हें झूठ बोलने वालों से बहुत कोफ्त होती है और दिल पर धक्का सा लगता है। एक आहत साथी अपने झूठ बोलने वाले साथी को और भी डरा देता है। सच बोलने की हिम्मत उसकी और भी जवाब दे जाती है। बेहतर है शांति से बात कर लें।

झूठ के कारण पड़ने वाली गाँठ मुश्किल से खुलती है। यह याद रखें झूठ बोलने वाला व्यक्ति दरअसल बहुत ही डरा हुआ होता है। अपनी नाराजगी से उसे और न डराएँ। उसे माफ करते हुए चलें। वह आपका नुकसान नहीं कर रहा है यह बात तो तय है क्योंकि नहीं तो रिश्ता इतना गाढ़ा नहीं हो पाता। हो सके तो झूठ बोलने वाले व्यक्ति से हमदर्दी जताते हुए उसे किसी मनोविशेषज्ञ से मिलाएँ।

कुछ लोग छोटी-मोटी चोरियाँ और झूठ बोलने को कुछ मानसिक ग्रंथियों के अधिक या कम सक्रिय होने से जोड़ते हैं और उसका इलाज एक्यूप्रेशर व होम्योपैथी में तलाशते हैं। सबसे अहम है आपसी संवाद। आपसी संवाद एवं विश्वास दो लोगों को अनेक मुश्किलों से उबरने का रास्ता दिखाता है।

यह यकीन होना चाहिए कि आपका साथी आपका वफादार है, फिर बाकी कमियाँ नजरअंदाज की जा सकती हैं। यदि एक साथी नादानी करे तो दूसरे को समझदारी से काम लेना चाहिए। शादी करने और तोड़ने, दोनों में जल्दबाजी करना एक बेवकूफी भरा कदम है।

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