किसी युवा पाठिका ने अपनी समस्या लिख भेजी है, 'मेरा बॉयफ्रेंड मुझे स्लीवलेस शर्ट पहनने से मना करता है, पेंट-शर्ट के साथ भी बिंदी लगाने को बाध्य करता है, किसी लड़के अथवा पुरुष से बात करने को मना करता है। क्लासमेट, प्यून, प्रोफेसर तो छोड़िए मैं अपने कजिन से भी बात करूँ तो वह बुरी तरह भड़क जाता है।'
गुस्सा ठंडा होने पर माफी भी माँगता है। कहता है, वह मुझसे बहुत प्यार करता है, इसलिए ऐसा करता है। अब शादी के निर्णय की घड़ी आ गई है इसलिए सोच रही हूँ क्या यह सही है कि वह ज्यादा प्यार की वजह से ऐसा करता है?'
जवाब यही है कि वह जो आचरण कर रहा है वह अतिप्रेम नहीं अति पॉजेसिवनेस है। वह लड़की को चाहता तो होगा, मगर उसे अपनी संपत्ति समझता है। किसी पर अपनत्व भरा अधिकार रखना और उस पर कब्जा कर लेना अलग-अलग बातें हैं। यह लड़का इस लड़की के जीवन में अति हस्तक्षेप करता है, उस पर काबू रखना चाहता है।
भावनाओं के उबाल में आकर लड़की इससे शादी करने का निर्णय न ले तो ही अच्छा है। लड़के में जो चाहत दिख रही है वह तात्कालिक यौनिक आकर्षण हो सकता है, जो शादी के बाद फुर्र हो जाएगा। रह जाएगा सिर्फ, हस्तक्षेप और नियंत्रण।
अभी जो आदमी कजिन से बात करने पर भड़क रहा है वह शादी के बाद मारपीट भी कर सकता है, घरेलू हिंसा पर भी उतर सकता है क्योंकि वह आदतन शक्की और कंट्रोल फ्रीक है।
यह ठीक है कि जब कोई किसी से प्यार करता है तो एक-दूसरे की पसंद-नापसंद के अनुसार खुद को ढालता भी है, तालमेल भी बैठाता है। जब प्यार और आदर हो तो ये चीजें स्वतः ही होती हैं। दुनिया में कौन नहीं चाहता कि सब चीजें उसके अनुरूप हों। मगर अपने आसपास के हर व्यक्ति को जिद करके या दबाव डालकर अपने अनुसार ही हर कार्य करने के लिए बाध्य करना गलत है।
सास-बहू के रिश्ते, या संयुक्त परिवार अक्सर इसीलिए टूटते हैं कि कुछ महिलाएँ भी कंट्रोल फ्रीक होती हैं। वे दूसरों को अपने अनुसार चलाना चाहती हैं। परिवारों में जो पुरुष नियंत्रणकारी मिजाज के होते हैं वे इस बात का निर्धारण करने लगते हैं कि अन्य सदस्य कैसे जिएँ।
रिश्तों में स्पेस देना, एक-दूसरे के निजत्व का आदर करना, हर छोटे-बड़े की व्यक्तिगत आजादी का महत्व समझना एक ऐसा गुण है जो रिश्तों में प्रेम को भी बढ़ाता है और आदर को भी। प्रेम और आदर अर्जित किया जाता है। न माँगने से मिलता है, न धमकाने से, न ही दबाव डालने से।