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दिल मेरा तोड़ दिया उसने बुरा क्यों मानूँ

सपनों के टूटने की हकीकत

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विशाल मिश्रा

मंज़र तुम्हारे शहर के जब याद आएँगे
दिल पर लगेगी चोट मगर मुस्कुराएँगे।

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प्रीतेश बेंगलुरू की एक कंपनी में जॉब करता है। बीकानेका रहने वाला स्मार्ट लड़का है। यहाँ उसकी आँखें लड़ी प्रिया से। 2 वर्षों में देखते ही देखते दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। दोनों की लव लाइफ बहुत बढ़िया चल रही है। दोनों को भरोसा है कि उनके विवाह में कोई अड़चन नहीं आएगी। दोनों के परिजन भी राजी हैं। फुर्सत में बैठकर दोनों अपने वैवाहिक जीवन के सपने बुनने लगे थे।

लेकिन यकायक प्रिया ने प्रीतेश से दूरी बनाना शुरू कर दी। फोन कॉल्स भी कम कर दिए और सड़क पर हाथों में हाथ डालकर चलना उसे अच्छा नहीं लगता। दोस्तों के जरिये प्रीतेश को पता चला कि अब प्रिया को एक अन्य दोस्त में अपने जीवनसाथी की झलक दिखाई देने लगी है। उस दोस्त से प्रीतेश भी अनजान नहीं है। लेकिन वह केवल ग्रुप फ्रेंड की तरह ही था और उनका ही कलिग था। और अब हैदराबाद की कंपनी में अच्छे पैकेज का जॉब मिलने के बाद प्रिया को उसने अपने दिल की बात बताई।

प्रिया ने भी शायद पैकेज की लालच में आकर प्रीतेश का साथ छोड़ने का फैसला किया और इससे अपने परिजनों को भी अवगत कराया। उन्हें भी बेटी की खुशी में ही अपनी खुशी नजर आई।

प्रिया का यह बदला रूप प्रीतेश को कुछ समझ ही नहीं आया। क्या वाकई ऐसा कुछ हो गया है या मैं कोई सपना देख रहा हूँ। एक समय जब खुशी के मारे प्रीतेश के पैर जमीं पर नहीं टिकते थे और आज उसके पैरों तले जमीन खिसक गई थी। लाख जतन करने के बाद भी जब वह अपनी प्रिया को भूल नहीं पाया। सपनों के टूटने की हकीकत से रूबरू प्रीतेश अपने भाग्य को कोसता रहा।

उसने दूसरी कंपनी में जॉब सर्च की और 6 महीने के भीतर ही बेंगलुरू को छोड़कर जयपुर चला गया। इस शहर को लेकर वह सोचता था कि कितना कुछ दिया था इस शहर ने मुझे, सब एक झटके में ही छीन भी लिया। आज जब प्रिया ही मेरे साथ नहीं तो मैं यहाँ रहकर क्या करता। अपने प्यार की यादों को हृदय में लिए बहुत ही भारी दिल से उसने इस शहर को अलविदा कहा।

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