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दिल हों करीब तो दूरियों के मायने नहीं

प्यार परवान चढ़े तो दूरियाँ नहीं

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- मानस

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हेलो दोस्तो! हम बहुत ही आधुनिक दौर से गुजर रहे हैं। आज एक-दूसरे से रूबरू हुए बिना ही केवल नेट की मदद से दोस्ती व प्यार परवान चढ़ने लगता है। उनमें से कुछ रिश्ते शादी तक भी पहुँच जाते हैं। अगर बात केवल शादी की हो तो नेट वाली जान-पहचान को बुरा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि पहले अरेंज्ड मैरिज में इतनी जानकारी भी बहुत मुश्किल से मिल पाती थी पर जब बात प्यार पर आकर अटकती है तो आज भी वही सदियों पुराने नियम चलते हैं।

प्यार में आप जितना साथ समय बिताएँगे उतना ज्यादा प्यार बढ़ेगा और वफादारी पक्की होगी। एक-दूसरे की अच्छाइयों और कमियों को जानते हुए आगे बढ़ने का फैसला प्यार को लंबे सफर के लिए तैयार करता है। दूर रहकर मीठी-मीठी बातें और हँसी-ठिठोली तो की जा सकती है पर अहम कदम नहीं उठाए जा सकते क्योंकि जीवन जीने के कुछ व्यावहारिक सवालों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए आमने-सामने ढेर सारी बातें किए बिना जीवन भर रिश्ता निभाने का वादा भी कभी-कभी पछतावे में बदल सकता है इसलिए ऐसी हालत में सोच-समझकर फैसला लेना ही अकलमंदी है।

कुछ ऐसी ही दुविधा के कारण फैसला नहीं ले पा रहे हैं समीर (बदला हुआ नाम)। समीर की मुश्किल यह है कि वह दिल्ली के पास वैशाली में रहते हैं और उनकी गर्लफ्रेंड अगरतला (त्रिपुरा) में। तीन वर्षों की दोस्ती में वे केवल दो बार मिल पाए हैं। समीर की दोस्त की त्रिपुरा में सरकारी नौकरी है इसलिए वह शादी के बाद इधर आकर नहीं रह सकती हैं।

समीर के वहाँ बसने पर उन्हें लगता है कि यहाँ उनके माँ-बाप छूट जाएँगे। यदि वह इस शादी से इनकार करते हैं तो उनकी दोस्त का दिल टूट जाएगा। समीर का दिमाग कहता है उसे भूल जाना ही व्यावहारिकता है पर दूसरी ओर उनका दिल नहीं मानता। उन्हें लगता है फिर पूर्वोत्तर के लोग दूसरे राज्यों के लोगों की दोस्ती व प्यार पर भरोसा नहीं करेंगे। वह इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि करें तो क्या करें।

समीर जी, आपका असमंजस में पड़ना वाजिब है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आप जिसे प्यार करते हैं उसे पूरी तरह नहीं जानते हैं। आपका प्यार संपूर्ण रूप से पक्का या परिपक्व नहीं हुआ है। वरना कोई भी दुविधा आपको नहीं सताती। आप भारत के ही एक राज्य में रहने जा रहे हैं, अमेरिका या इंग्लैंड में नहीं। यदि किसी को अपना प्यार बचाना हो तो वे दुनिया के किसी भी कोने में अपना घर बसाने चला जाता है पर आप भारत में रहने को लेकर भी चिंतित हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि आप अपने प्यार की गहराई को लेकर अनिश्चित हैं। आपको लगता है ऐसी हालत में इतना बड़ा फैसला एक जुए के समान होगा।

आपका यह डर सौ फीसदी सही है। जिंदगी में हर रोज तरह-तरह के हालात आते हैं। जब तक हम किसी से हर मौके पर ठीक तरह से संवाद नहीं बना पाते हैं या फिर मिलकर अपनी राय नहीं रखते हैं तब तक हमारे निजी विचारों का पता नहीं चलता है। विभिन्न स्थिति में किसकी क्या प्रतिक्रिया होगी यह नहीं मालूम हो सकता है।

व्यक्तिगत क्षुद्रता, उदारता के आधार पर हम भविष्य में सामंजस्य स्थापित करने और साथ निभाने का मन बनाते हैं।
एक-दूसरे की छोटी-छोटी आदतों, जो कभी-कभी कमियों की मानिंद लगती है, से वाकिफ होना बहुत जरूरी है। केवल खतो-किताबत के आधार पर किसी व्यक्ति की पूरी तस्वीर बनाना मुश्किल है क्योंकि संभलकर, समय निकालकर कुछ अच्छी और प्रेम की बातें लिखना दूर से अच्छा अहसास करा सकता है पर जीवन साथ बिताने का हौसला नहीं दे सकता। जिंदगी में हर दम नाप-तौलकर नहीं चला जाता है। ज्यादा से ज्यादा मिलने से हर व्यक्ति के सच्चे रूप का पता चलता है और उसी आधार पर उस व्यक्ति की जगह जीवन में तय की जाती है।

समीर जी, आप आम पुरुष की अपेक्षा अधिक संवेदनशील हैं। आप में एक प्रकार का कच्चापन है जो सच्चे और नेक इनसान की पहचान होती है। आपको प्यार में जो खुशी मिलेगी वह आपको अपने गुण के कारण मिलेगी पर यह भी सच है कि यदि आपका साथी बेहद आत्मकेंद्रित हो, केवल अपना दुख, अपनी बीमारी, अपना घर, अपने लोग, अपनी भाषा इन्हीं का राग अलापता रहे तो आप बहुत आहत होंगे।

ऐसा भी नहीं है कि जो लोग जीवन में खूब व्यावहारिक व चालाक बनते हैं खूब तौल-तौलकर संबंध बनाते हैं उन्हें ढेर सारी खुशियाँ मिल जाती हैं। सच तो यह है कि ऐसे लोग अक्सर रिश्ते के लिहाज से घाटे में रहते हैं। यह बात वह अपने भीतर जानते हैं। प्यार में हमेशा तुलना या मोलभाव की जरूरत नहीं पड़ती है पर, हाँ, एक-दूसरे को गहराई से जानने की बहुत जरूरत है। यहाँ प्यार करते हुए सुखी मन से जीवन बिताने का फैसला लेना है। भक्तिभाव से जीवन भर किसी को पूजने का संकल्प लेने का मसला नहीं है। इसीलिए दोस्ती, प्यार और संवेदनशीलता के साथ ही एक-दूसरे को बारीकी से समझना और जानना बेहद आवश्यक है।

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