हेलो दोस्तो! प्यार दो दिलों का मेल है। एक ऐसा मेल जहाँ दो लोग अपना अहम छोड़कर एक-दूसरे में ढालने की कोशिश करते हैं। एक-दूसरे की खूबियों को पहचानते हैं और उसे अपनाने की कोशिश करते हैं। एक ऐसा व्यक्ति जिसे प्रकृति ने कभी ज्यादा आकर्षित न किया हो, वह भी प्यार होने पर धूप-छाँव की भाषा समझने लगता है। कोमल फूलों की पंखुडि़यों को महसूस करना चाहता है। धरती पर बनते फूलों-पत्तों के अक्स को निहारने लगता है। दरिया में बहता कल-कल पानी और आकाश में उड़ती चहचहाती चिड़िया उसकी आँखों में चमक पैदा कर देती है। शायद सच्चे प्यार की यही निशानी है।
एक-दूसरे से शक्ति, कोमलता, आत्मविश्वास हासिल करना ही प्यार को परिभाषित करता है पर इन सबके बावजूद हर रिश्ते में नोंक-झोंक चलती रहती है और साथ-साथ रूठने-मनाने का दौर भी चलता ही रहता है लेकिन अक्सर थोड़े दिनों के गिले-शिकवे के बाद फिर स्थिति यथावत हो जाती है। पर, प्यार का रिश्ता जरा ज्यादा नाजुक होता है। कई बार शिकायतों का पिटारा हम खोल तो देते हैं पर उससे निकली असहनीय गंध से जब सामने वाला तिलमिलाने लगता है तो हजार कोशिशों के बावजूद उस गंध को वापस उस पिटारे में समेटकर बंद कर पाना संभव नहीं होता है और तब सिवाय अफसोस के और कुछ हासिल नहीं होता।
प्रिया भी यही गलती कर बैठी है। प्रिया ने पहले तो अपने दोस्त को उसके माता-पिता और बहन की इच्छाओं को सम्मान व तरजीह देने के कारण उसे खूब बुरा-भला सुनाया और अब उसकी बेरुखी से वह परेशान हो गई है। उसका दोस्त काफी दिनों से उससे ठीक से बात नहीं करता है और प्रिया को अपनी गलती का अहसास है पर उसके दोस्त को लगता है कि प्रिया में रिश्तों को समझने की क्षमता नहीं है। शायद इसीलिए अब वह अनमना-सा व्यवहार करता है और बेहद औपचारिकता से पेश आता है। इस वजह से प्रिया बेहद परेशान है और दिन-रात अपनी शिकायती फितरत को कोसती रहती है।
प्रिया जी, आपका बेचैन होना स्वाभाविक है। जो व्यक्ति आपसे रत्ती भर भी कोई बात नहीं छुपाता था। उसका इस प्रकार औपचारिक हो जाना अवश्य ही आपको खलेगा। अपनी नासमझी से रिश्ते में ऐसी गाँठ डाल देना कि उसे सुलझाना मुश्किल हो, सरासर बचपना है। इसके बाद किसी भी परिपक्व व्यक्ति का कतराना और दूरी बनाना लाजिमी ही है।
प्यार के रिश्ते में अक्सर सभी बेइंतहा अधिकार जताने लगते हैं। हर व्यक्ति यह भूल जाता है कि उसके मिलने के पहले भी उसका एक संसार था। उसकी जिम्मेदारियों की भी एक अलग दुनिया है। उसे प्यार के अलावा भी अपनों का ख्याल रखना है। इस हकीकत को लगभग सभी प्यार करने वाले नजरअंदाज करने लगते हैं और यहीं से शुरू हो जाती है शिकायतों की कभी न खत्म होने वाली कहानी।
प्रिया जी, आपके दोस्त पर यह दबाव है कि पहले वह अपनी बहन की शादी करे फिर अपनी शादी के विषय में सोचे। यदि वह आपको विश्वास में लेकर अपने माता-पिता की यह बात मान रहा है तो इसमें लड़ने वाली कौन सी बात है। आपके अनुसार आपका दोस्त यूँ तो आप पर जान छिड़कता है। आपके साथ ही जीवन बिताने का सपना देखता है। आपको उस पर भरोसा करना चाहिए। उनके परिवार वालों का दबाव है कि वह कहीं और शादी करे पर वह आपके पक्ष में खड़ा है ऐसे में उस पर तुरंत फैसला लादकर विद्रोह कर देने का दबाव डालना उचित नहीं है।
देखा जाए तो आपका पक्ष लेते हुए भी अपने घर वालों का अनुरोध सुनना और उन्हें धीरे-धीरे अपनी बात समझाकर शांत करना बेहद समझदारी भरा कदम है। इससे विचलित होकर लड़ने के बजाय आपको उसके इस कदम का स्वागत करना चाहिए। आपको उन पर फख्र होना चाहिए कि वह एक गंभीर व्यक्ति है और अपने तमाम रिश्ते के साथ वह न्याय करना चाहता है।
जब किसी व्यक्ति की नीयत साफ होती है तो उसे बेबुनियाद आरोपों से अधिक तकलीफ होती है। उसे लगता है कि सामने वाले ने उसकी नीयत की गहराई को नहीं पहचाना। रिश्ते में इतने दिनों के प्रयास की कोई कद्र नहीं की गई। ये बातें एक सच्चे प्रेमी को आहत करती है और उसके हौसले को पस्त करती हैं। जिसके लिए वह अपने परिवार को दुखी कर, उसे स्वीकृति दिलाना चाहता है, वही उसे गलत समझे, ये बातें दिल तोड़ती हैं। ऐसे हालात में एक व्यक्ति का अपने आप में सिमट जाना कोई बड़ी बात नहीं है।
प्रिया, आपको इस परिस्थिति में अपने दोस्त की ताकत बनना चाहिए था, न कि उसके विरूद्ध खड़ी होकर उन्हें अकेला करना था। जिसे कोई प्यार करता है उससे वह हर हाल में सहयोग की उम्मीद करता है। उससे कष्ट से बाहर निकलने का रास्ता पूछता है। जिससे इस प्रकार की आशाएँ हों वहाँ से केवल अविश्वास एवं उलाहना मिले तो व्यक्ति खुद को बेहद अकेला महसूस करेगा। वह सामने वाले पर किसी भी प्रकार का अधिकार जताने की हिम्मत नहीं करेगा। यही बेगानापन बेहद निजी रिश्ते में भी औपचारिकता को ला बिठाता है। इस बेगानेपन को तोड़ने का एक ही तरीका है कि आप उससे तहेदिल से माफी माँग लें। उस पर अपना भरोसा दिखाएँ। बातचीत के द्वारा या पत्र लिखकर उसका साथ देने का वायदा करें। अपनों की भावनाओं की कद्र करना ही सच्चा प्यार है।
लवमंत्र में आप किस तरह का मंत्र चाहते हैं, हमें लिख भेजिए। हमारा ईमेल आईडी है [email protected]m