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प्यार के लिए दोबारा जन्म संभव नहीं

मानसी

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हेलो दोस्तो! अकसर आप यह सोचते होंगे कि काश कोई ऐसा जादुई शीशा होता जिसके सामने आप खड़े हो जाएं और सामने वाले को मन की सारी भावना पता चल जाए। अपनी नीयत, सीधी सच्ची बात सामने वाले को आप दिखा देना चाहते हैं पर सीना चाक करके दिखाने का अभी तक कोई तरीका निकल नहीं पाया है। नतीजतन, अपनी बात पहुंचाने के लिए आप रोते, गिड़गिड़ाते हैं और कभी गुस्सा करते हैं। यदि इससे भी काम नहीं चलता है तो हर सामान्य व असामान्य हरकतों से अपना ध्यान खींचना चाहते हैं।

खाना-पीना छोड़ देना, मरने की धमकी देना जैसे नुस्खे भी आजमाने से नहीं चूकते। पर, हद तब हो जाती है जब गंभीरतापूर्वक मर जाने की ठान लेते हैं। आप यह सोचना ही नहीं चाहते हैं कि जिन्हें आप पर विश्वास करना होता तो हलका इशारा ही काफी होता। दरअसल आप यह बात समझना ही नहीं चाहते हैं कि यह दूरी रिश्ते के प्रति दृष्टिकोण की है और किसी के मर जाने से किसी दूसरे का दृष्टिकोण या नापसंदगी नहीं बदलती है।

ठीक इसी तरह, रॉकी (बदला हुआ नाम) मरकर किसी के दिल में मुकाम बनाना चाहते हैं। रॉकी अपनी एक दोस्त सुहाना (बदला हुआ नाम) से प्रेम करते हैं। पर, सुहाना उन्हें केवल दोस्त मानती हैं। चूंकि सुहाना रॉकी से प्यार नहीं करती हैं इसलिए वह खुद को मिटाकर सुहाना को यह जता देना चाहते हैं कि उनके प्रेम में कितनी गहराई थी।

रॉकी जी, उस सुहाना पर आप अपनी मौत की ग्लानि का बोझ क्यों डालना चाहते हैं जिसने कभी आपको यह नहीं कहा कि वह आपको प्यार करती है। आपका कहना है कि "मेरे मरने के बाद सुहाना को अहसास होगा कि उसने उसे स्वीकार नहीं कर कितनी बड़ी भूल की है।

आप केवल इसलिए मर जाना चाहते हैं कि उसके अपराधबोध में वह जीवनभर झुलसती रहे लेकिन यह आपकी गलतफहमी है। उसे कोई ग्लानि नहीं होगी यह बात आप सौ फीसदी मानकर चलें। अपराधबोध या ग्लानि उसे होती है जिसने किसी का विश्वास तोड़ा हो। किसी को सपना दिखाकर बेवकूफ बनाया हो। किसी का विश्वास जीतकर बेवफाई की हो। जाने-अनजाने हरजाईपन किया हो।

पर आपकी दोस्त ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। फिर वह क्यों खुद को आपकी मौत का कारण माने। केवल आपकी घोषणा कर देने भर से कि आप उसे इतना चाहते थे कि जान दे दी, उसे किसी प्रकार भी दुख नहीं पहुंचाएगा। हां, उसे गुस्सा जरूर आएगा कि इस मजनूं की औलाद को इस प्रकार उसे बदनाम करने का क्या अधिकार था। सरेआम अपनी मृत्यु का इल्जाम उस पर लगाने से उसके दिल से केवल बददुआएं निकलेंगी क्योंकि वह बेकसूर है।

सच तो यह है कि यदि वह आपके साथ गहरे रिश्ते में होती फिर भी उसे किसी से प्रेम हो जाता और वह चतुराई से आपको छोड़कर चली जाती, तब भी आपको मृत्यु जैसा फैसला लेकर उसे सबक सिखाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए था। यह बगैर किसी की गलती के उसे सजा देने जैसा हुआ।

आपकी मौत से न तो कोई आहत होगा और न ही किसी को अफसोस होगा। हर कोई आपको महा मूर्ख समझेंगे। गली में आने-जाने वाली कोई पहचान की लड़की आपको आकर कहने लगे, मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूं, मुझसे शादी कर लो वरना मैं फांसी लगा लूंगी। आपके मन में क्या विचार आएगा। जान-पहचान, हंसी-मजाक का यह मतलब है। लगता है, बहुत ही मूर्ख लड़की है। मरे मेरी बला से। और, यदि वह सचमुच मर भी जाती है तो आपको बहुत गुस्सा आएगा कि इस सिरफिरी ने मुझे रुसवा करके छोड़ा।

आपके मरने से ऐसी ही प्रतिक्रिया सुहाना की होगी। आप में इतना उन्माद तब है जब सुहाना किसी से भी प्रेम नहीं करती। यदि उसका कोई प्रेमी होता तो आप शायद सुहाना या उसके प्रेमी को ही खत्म कर देते। जब सुहाना ने आपको समझाया कि वह अपने माता-पिता के अलावा किसी और से प्रेम की कल्पना भी नहीं कर पाती है फिर आप उसे गंदगी में घसीट रहे हैं। उसकी भावना की कद्र अदा करने के बजाय आप उस पर जबरन गलत लड़की साबित करना चाहते हैं। आपका कहना है कि सुहाना के कुछ दोस्तों ने आपको यह अहसास कराया कि वह आपको पसंद करती है।

थोड़ी देर के लिए यह मान भी लें कि सुहाना ने अपने दोस्तों से कहा कि रॉकी अच्छा लड़का है, वह मुझे अच्छा लगता है। आप केवल किसी तीसरे से ऐसी बातें सुनने मात्र से उसके प्रेम में पागल हो जाएंगे ? आपको मानसिक समस्या है। आपको तुरंत मनोरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। आपको लगता है आपकी मौत से दोस्तों को गलतबयानी की सजा व सीख मिलेगी। पर, उन्हें सबक सिखाने के लिए आपको अपनी बली देने की क्या तुक है ? यकीन मानिए उसके बाद भी करोड़ों लोग किसी न किसी को यह बताते रहेंगे फलां उसकी बड़ी तारीफ कर रहा था। यह बहुत ही आम बात है और हर रोज ऐसी बातें होती रहती हैं।

सच तो यह है कि आप अपनी मौत को मजाक का विषय बनाना चाहते हैं। ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए कि लोग आपके परिवार को ताना मारें। किसी की परवाह किए बिना कोई भी दुस्साहस तब किया जाता है जब आप कुछ हासिल करने वाले हों। असमय मृत्यु का खयाल केवल मानसिक बीमारी है क्योंकि आप सच्चाई स्वीकार करना नहीं चाहते हैं।

रही बात ब्रेन ट्यूमर की तो हो सकता है यह आपका वहम हो। यदि सचमुच है तो इसका इलाज कराएं। पर अपने ट्यूमर का इल्जाम न तो सुहाना पर दें और न ही उसके दोस्तों पर। रॉकी जी, खुद को दया की श्रेणी से निकालकर, जीवन संग्राम का सिपाही बनाएं। खुद को स्वस्थ करें और जीवन में आगे बढ़ें। जीवन सुंदर है। याद रखें पुनर्जन्म की बातें कहानियों में ही मिलती हैं, वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है। प्यार के लिए एक जन्म ही बहुत है।

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