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रिश्ते तोड़िए नहीं जोड़िए

डॉ. मनोहर भंडारी

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स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है ‍कि आपका जीवनसाथी, मित्र और रिश्तेदार आपके अपने बने रहें। यदि किसी कारण से रिश्तों में दरार या खटास आई है तो रिश्ते समाप्त होने से पहले एक कोशिश कीजिए। आपसी सहमति से, बिना किसी पूर्वाग्रह के, एक-दूसरे को अपनी आपत्ति कह डालें। इस दौरान उत्तेजित नहीं होना है। जब एक अपनी बात कहे तो दूसरा चुपचाप ध्यान से सुने। यह भी ध्यान रखें कि आप संधिवार्ता के‍ लिए बैठे हैं।

पूर्व में अपने द्वारा किए गए अहसानों/सहयोगों/सहायता का जिक्र कदापि न करें बल्कि उसके द्वारा किए गए सहयोगों/सहायता/अहसानों का मन ही मन स्मरण करें। ज्यादा नहीं, दस-पंद्रह मिनट की यह संधि-बैठक आपके टूट रहे रिश्ते को न केवल प्रगाढ़ता से जोड़ेगी बल्कि कई तरह के सतत चल रहे वैचारिक झंझावातों यानी तनावों से आपको एक पल में मुक्त कर देगी।

रिश्ते जोड़ने के नौ सूत्र

* रिश्ते में आई खटास के कारण को ढूँढना।
* शत्रुता का भाव मन में न फटकने दें।
* मन में उन मधुर क्षणों को याद करना, जो उस मित्र के कारण जीवन में आए थे।
* बातचीत के लिए स्वयं को मन से तैयार करना।
* शांत रहें।
* संवाद का अर्थ है परस्पर बातचीत, इसे एकतरफा न रहने दें।
* बिना उत्तेजित हुए बात सुनना और कहना।
* समझौता करने का भाव मन में अवश्य रहे। सोचिए, आप ऑफिसमें 6 से 10-12 घंटे समझौतों के चलते ही तो पूरे कौशल और सामर्थ्य के साथ काम कर पाते हैं या घर पर अपनी कामवाली महिलाओं से कितने समझौते करते हैं।
* परस्पर अच्छे संबंधों के लाभों के अलावा यह भी ध्यान में रखें कि आप एक लगातार चलने वाले ऐसे तनाव से मुक्त होने वाले हैं, जो अवसाद, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग और निराशा को जन्म देने वाला है।

तलाक से पहले पति-पत्नी भी इन सूत्रों को आजमसकते हैं।

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