हेलो दोस्तो! यदि आप लोगों से यह पूछें कि क्या वे अपना जीवन ऐसा ही जीना चाहते थे जैसा वे जी रहे हैं। इस सवाल पर ज्यादातर लोगों का जवाब होगा कतई नहीं। इसलिए इस सवाल को बिल्कुल सीधे व सपाट अंदाज में अगर यूँ पूछा जाए कि क्या आपने अपने जीवन में वही काम किया है या फैसला लिया है जैसा आपकी इच्छा रही है तो निश्चित ही अधिकतर लोगों की गर्दन इनकार में ही दाएँ-बाएँ हो जाएगी।
यह सच है कि हम चाहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। ऐसा करने के पीछे भले ही हम परिस्थितियों को दोष दें पर इसकी बड़ी वजह होती है हमारी दुविधा। अपने निर्णय, अपनी सोच पर भरोसे का अभाव। हमें ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए, इस विचार की अस्पष्टता। ये वजहें ही होती हैं जिसके कारण हम आधे-अधूरे मन से पूरा जीवन बिता देते हैं। फिर जीवन भर बोलते रहते हैं कि जीवन तो काटना ही है सो किसी तरह काट रहे हैं।
ऐसा ही एक जीवन काटने की तैयारी में बेमन से निकल पड़ी है मीना (बदला हुआ नाम)। मीना के घरवालों ने एक लड़के से उसकी सगाई पक्की कर दी है। उस शादी, सगाई या लड़के का जिक्र आते ही वह गुस्से से चीखने-चिल्लाने लगती है। उसे अपने गुस्से पर काबू नहीं रहता है। उसकी इस मनोदशा के बारे में उसका मंगेतर भी जानता है। फिर भी सभी उसकी शादी की तैयारी में जुटे हैं। यहाँ तक कि उसके मंगेतर को भी उसके गुस्से पर कोई एतराज नहीं है। दरअसल मीना अपने एक नेट दोस्त से प्रेम करने लगी है और उसी से शादी करना चाहती है। पर दिक्कत यह है कि मीना का नेट दोस्त मीना को केवल दोस्त मानता है पर मीना उसका मन बदलने तक इंतजार करना चाहती है।
मीना जी, यदि आपका नेट दोस्त भी आपसे उतना ही प्यार करता तो शायद समस्या इतनी जटिल नहीं होती और कोई भी आपको यही सलाह देता कि आप अपने प्यार का आशियाना बना डालें। पर केवल एक व्यक्ति के चाहने से शादी तो नहीं हो सकती न।
आपके गुस्सा करने, चीखने-चिल्लाने और सामान उठाकर फेंकने से होने वाली शादी के फैसले पर कोई असर पड़ रहा है क्या। नहीं। घर वाले सोचते हैं, इस उम्र में ऐसा होता है, यह नादानी है, शादी के बाद घर बस जाएगा और सब ठीक हो जाएगा। जिम्मेदारी आ जाएगी, धीरे-धीरे मन रम जाएगा। एक हद तक उनकी यह सोच ठीक है। अगर आपको इस रिश्ते से इतनी नफरत है कि उस लड़के का नाम आते ही आप अपना आपा खो देती हैं तो आपको पूरा विरोध कर सगाई नहीं करनी थी। आपके घर वाले आपकी इसी कमजोरी के कारण आपको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आपके पास उनके सामने रखने के लिए दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यही वजह है कि आपके गुस्से का उन्हें कोई ठोस आधार नजर नहीं आता है।
अगर आपके गुस्से के कारण यह शादी रुक जाती तो गुस्सा करने का फायदा समझ में आता। पर यदि आपके एतराज के बावजूद शादी होती है तो सबसे ज्यादा घाटे में आप ही रहेंगी। जीवन भर आपके ससुराल वाले आपको ताना मारेंगे। आपके पति को दिल के करीब आने में बहुत समय लगेगा। हो सकता है, बाद में वह भी जानबूझकर आपकी अनदेखी करे, आपकी सुध न ले और आपके मन को चोट पहुँचाए।
आप अपने नेट दोस्त से इसलिए इतनी जुड़ गई हैं कि वह आपका बहुत खयाल रखते हैं। आपकी छोटी-बड़ी तकलीफों के बारे में पूछते हैं। दरअसल, पुरुषों को तो परिवार से लेकर हर स्थान पर ध्यान रखने वाले लोग मिल ही जाते हैं। लेकिन महिलाओं को उसकी छोटी-बड़ी जरूरतों का ध्यान रखने वाले लोग जीवन में कम ही मिलते हैं इसलिए आपको लगता है कि उसकी जगह कोई नहीं ले सकता है। ऐसा नहीं है। हो सकता है, जिससे आपकी शादी होने वाली है वह आपके नेट दोस्त से भी बेहतर हो। लगता है आप बचपन से ही गुस्सा करती रही हैं इसलिए आपके घर वालों को यह कोई नई बात नहीं लग रही है। यदि आपको हमेशा बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह लेनी चाहिए।
यदि आपकी शादी हो जाती है और आप इसी मनःस्थिति में रहेंगी तो नए रिश्ते की सारी खूबियाँ भी खामियाँ ही लगेंगी। बेहतर यही है कि इस रिश्ते के लिए बेमन से राजी होने के बजाय आप इसे दिल से स्वीकार लें। आपके एतराज के बावजूद यदि आपके परिवार वाले आपकी शादी कर रहे हैं तो उस लड़के के साथ भी अन्याय है। उसका क्या कसूर है जो उसके सिर पर एक अनचाहा रिश्ता थोपा जा रहा है। किसी भी हठ या जिद करने की तभी तक अहमियत है जब तक उसका कोई नतीजा निकले वरना मनुष्य कहीं का भी नहीं रहता। अगर नहीं-नहीं कहते हुए भी शादी कर ली तो आगे आपकी किसी भी मर्जी का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा। बेहतरी इसी में है कि खुशी-खुशी अपना घर बसाएँ।
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