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लव-मंत्र : ये बंधन तो प्यार का बंधन है

मानसी

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आप जीवन में न जाने कितनी ही बार यह प्रण लेते हैं कि जिंदगी के सारे अहम फैसले भावना को इतर रखते हुए करेंगे और दुनियादारी को ही अपने व्यवहार का हिस्सा बनाएंगे। रिश्ते चाहे कितनी भी नजदीकी लिए हों वहां एक प्रकार की तटस्थता व दूरी बनाए रखेंगे। सारी बातचीत में एक प्रकार की उदासीनता का पुट हो ऐसी आपकी कोशिश होती है।

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लफ्जों का चयन ऐसा हो जिससे कोई विशेष मायने न झलके। जुमलों की बुनावट ऐसी हो जो किसी के मन को स्पर्श न करे। गुफ्तगू ऐसी हो कि किसी की धड़कन तेज न हो। और जब तक आप ऐसा कर पाते हैं, आप खुद को शाबाशी देते हैं। हां, ऐसा करते हुए यदि ज्यादा खुशी महसूस नहीं होती है तो गम का भी अहसास नहीं होता है।

पर यह स्थिति ज्यादा देर तक नहीं चल पाती है। आपकी हजार कोशिशों के बावजूद आप भावनाओं के चंगुल में फंस ही जाते हैं। आपकी सारी व्यावहारिकता धरी की धरी रह जाती है। आप बगैर सोचे-समझे जोशीला या तनाव पैदा करने वाला अंदाज अपना ही लेते हैं। इस तेवर का परिणाम जो भी हो, आप अंजाम की परवाह करना छोड़ देते हैं।

बस आपको एक ही धुन सवार हो जाती है कि दिल के अंदर छिपी बात को कैसे हूबहू सामने वाले तक पहुंचाऊं। मुंह फुलाना, ताने मारना, सीधा जवाब न देना, बातें बदलना आदि अपने दिल की हालत या अपनी भावना को व्यक्त करने का तरीका बन जाता है। यह जानते हुए भी कि इसके बाद स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा, आप ऐसा करने से बाज नहीं आते हैं।

दरअसल, आपके लिए अपनापन मापने का यह तरीका एक पैमाना-सा बन जाता है। इसके बिना भावनाओं को महसूस करने में आपको कठिनाई महसूस होती है पर यह आदत आपको बहुत महंगी पड़ती है। ऐसा करने के बाद मन में जो उथल-पुथल होती है उसको सामान्य करने में समय लगता है और सामान्य होने की प्रक्रिया में समय और शक्ति दोनों नष्ट होती हैं।

अपनी इसी प्रवृत्ति से परेशान नेहा (बदला हुआ नाम) बार-बार यह कसम खाती है कि वह अब कभी अपने साथी ओमी (बदला हुआ नाम) के साथ इतनी अधिक अनौपचारिक नहीं होगी पर अकसर उसकी पुनरावृत्ति के कारण अब ओमी खफा हो चुका है। नेहा को समझ में नहीं आता है कि वह क्या करे।

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नेहा जी, कई लोग अपनी भावना सामान्य रखते हुए खुद को प्रदर्शित नहीं कर पाते हैं। उन्हें औपचारिक संवाद के जरिए दूसरे की भावना समझने में मुश्किलें पेश आती हैं। उन्हें लगता है कि जब तक दुख-सुख का उग्र संवाद या हाव-भाव का आदान-प्रदान नहीं हो जाता है, प्रेम की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। पर ओमी को यह तरीका पस्त कर चुका है और वह इस रिश्ते से निजात चाहता है। आप अपनी आदत के कारण ओमी को खोना नहीं चाहती हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि ओमी को यकीन दिलाना आपके लिए आसान नहीं है। लाख प्रयासों के बाद भी अपने आपको तटस्थ या औपचारिक रखना वश में नहीं है। बेहतर यही है कि आप बीच का मार्ग अपनाएं। न ज्यादा अनौपचारिक बनें और न ही अधिक अजनबीपन दिखाएं। आप प्रेम में ज्यादा व्यावहारिक नहीं हो सकती हैं। इसलिए बेहतर है कि निरंतर संवाद का रास्ता अपनाएं।

लगातार संवाद और नजदीकी से रिक्तता की समस्या समाप्त हो जाएगी। रिक्तता के कारण ही आप भावनात्मक विस्फोट की स्थिति में पहुंच जाती हैं। खुद को उसी गर्माहट के साथ जोड़ने के लिए आप असामान्य व्यवहार करने पर मजबूर हो जाती हैं, क्योंकि आपके भीतर सहजता की कमी आ जाती है।

इस अहसजता को पाटने का एक मात्र तरीका है कि रिश्ते में संवाद की दूरी न आने दें। रिश्ते में जितनी गर्माहट, नजदीकीपन मौजूद है उसका अहसास लगातार बनाए रखें। कुछ लोग इस डोर के छूटते ही तिलमिला जाते हैं। वे असुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि अब वे साथी के आकर्षण के केंद्र-बिंदु नहीं रहे।

साथी के मन में अपनी जगह तलाशने और सुरक्षित करने के लिए वे हर बार जाने-अनजाने इसी नाटकीय खेल को खेलते हैं पर सामने वाला यदि इसी मानसिकता या फितरत का नहीं है तो उसे इस प्रवृत्ति को बार-बार झेलना ज्यादती लगता है और वह थककर इससे छुटकारा चाहता है। बेहतर यही है कि हालात को विस्फोटक होने देने के बजाय उसे पहले ही संभाल लें।

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