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'ये मेरा जीवन तेरे लिए है'

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जनक सिंह झाला

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'मेरे पति एक पत्रकार हैं। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। जब भी मैं उनकी बाँहों में होती हूँ तब मुझे एक अजीब सी अनुभूति होती है। आज हमारी शादी के तीन साल हो गए हैं लेकिन मैं देख रही हूँ कि अब हमारे बीच में वह प्यार नहीं रहा जो पहले था। आजकआलोमुझसे ज्यादा अपने काम पर ध्यान देने लगे हैं। कभी-कभी लगता है वह मुझे बिल्कुल ही भूल गए हैं।

मेरे से बात करने के बजाय उन्हें अकेले में बातें करना ज्यादा अच्छा लगता है। बैठे-बैठे कुछ भी सोचा ही करेंगे, भले ही मैं उनके पास बैठकर उन्हें निहारा करूँ, उनका ध्यान इस ओर नहीं जाता। आखिर मैं थक गई हूँ।

अब मुझे तलाक चाहिए। यह बात जब मैंने उनको बताई तो वह मेरे सामने देखते ही रह गए। उन्होंने पूछा तुम क्यों मुझसे अलग होना चाहती हो। मैंने सिर्फ इतना कहा 'दुनिया में कुछ चीजें ऎसी भी होती हैं जिनका कोई कारण नहीं होता।'

उस दिन वह पूरी रात सोए नहीं। बस हर बार सिगरेट जलाकर कुछ ना कुछ सोचते रहे। मैंने सोचा कि शायद वह सुबह मुझसे कहेंगे कि 'मुझे माफ कर दो। अब मैं तुम्हें कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगा' लेकिन ऎसा कुछ भी नहीं हुआ। वह वैसी ही मुद्रा में थे जैसे वह रोज दिखते थे।

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फिर भी उन्होंने मेरा दिल रखने के लिए कहा कि 'आखिर मैं क्या करूँ तुम्हारे लिए? मैं उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थी फिर भी मैंने कहा क्या आप मेरे लिए वह कर सकते हैं जो मैं चाहती हूँ।
क्या?

'मान लो कि हम दोनों एक ऊँची पहाड़ी पर हैं। वहाँ पर एक बहुत बड़ा लाल गुलाब का फूल है। जो मुझे बहुत पसंद है लेकिन वहाँ पर सिर्फ वही शख्स पहुँच सकता है जो मौत को गले लगाना चाहता है तो क्या तुम मेरे लिए वह फूल लाकर दे सकते हो?

उन्होंने मेरी आँखो में देखा और कहा 'मैं इस सवाल का जवाब तुम्हें कल दूँगा।' यह सुनकर एक पल के लिए तो मेरा मन बहुत दु:खी हुआ फिर भी मैं अगले दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगी। दूसरे दिन जब मैं सुबह उठी तो वह कहीं बाहर गए थे। मैंने टेबल पर एक खत देखा जिसमें उन्होंने कुछ लिखा था।

'मेरी प्रिया'
मुझे माफ कर देना क्योंकि मैं तुम्हारे लिए वह पहाड़ी गुलाब नहीं ला सकता। तुम उसे मेरी कमजोरी कहो या और कुछ लेकिन उस पहाड़ी पर पहुँचने पर या तो मेरी मृत्यु हो सकती है या मेरे शरीर का कोई अंग मुझसे अलग हो सकता है जिसकी मुझे बहुत बहुत जरूरत है।

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इतना पढ़कर मेरे दिल के टुकड़े-टुकड़े हो गए फिर भी हिम्मत जोड़कर आगे पढ़ने लगी। तुम उसे मेरी कमजोरी समझ सकती हो लेकिन यह बात सही है कि मैं मेरे शरीर के हर एक हिस्से से बहुत प्यार करता हूँ क्योंकि मेरा हर एक अंग तुम्हारे लिए काम करता है। उसके बिना तुम भी बिल्कुल अधूरी हो।

प्रिया, तुम जब भी कम्प्यूटर का उपयोग करती हो तब तुम्हें समय का ख्याल नहीं रहता और फिर तुम्हारा सिर दुखने लगता है। मैं अपनी अँगुलियों को बचाना चाहता हूँ ताकि उस वक्त मैं तुम्हारा सिर और तुम्हारी थकी हुई अँगुलियों को दबाकर तुम्हें कुछ आराम दे सकूँ।

तुम कई बार ऑफिस जाते वक्त अपना लंच ले जाना भूल जाती हो या लंच में देर हो जाती है तो उसे तुम्हारे ऑफिस तक पहुँचाने की जिम्मेदारी मेरी होती है। इसलिए मैं अपने इन पैरों को भी बचाना चाहता हूँ ताकि में दौड़कर तुम्हारे लिए लंच सही समय पर पहुँचा सकूँ।

  तुम हमेशा घर में रहना पसंद करती हो और कभी-कभी तनावग्रस्त हो जाती हो इसलिए मैं अपने मुँह और जुबान को बचाना चाहता हूँ ताकि जब भी तुम तनावग्रस्त हो तब मैं मिमिक्री कर और चुटकुले सुनाकर तुम्हारा मन बहला सकूँ।      
कभी-कभी चलते-चलते तुम रास्ते के पत्थरों को लात मार देती हो जिससे कई बार तुम्हारे पैरों में चोट लगी है। इसलिए मैं अपनी आँखों को सलामत रखना चाहता हूँ ताकि जब भी तुम चलो मेरी आँखें हमेशा तुम्हें रास्ता दिखाएँ।

तुम हमेशा कम्प्यूटर के नजदीक रहती हो जो आँखो के लिए अच्छी बात नहीं है। मैं अपनी आँखें भी इसलिए सलामत रखना चाहता हूँ कि मेरी इन्हीं आँखों की मदद से तुम्हारे बड़े-बड़े नाखून काट सकूँ जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं और तुम्हारे सफेद बालों को छाँट सकूँ। तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें मंदिर ले जा सकूँ।

तुम हमेशा घर में रहना पसंद करती हो और कभी-कभी तनावग्रस्त हो जाती हो इसलिए मैं अपने मुँह और जुबान को बचाना चाहता हूँ ताकि जब भी तुम तनावग्रस्त हो तब मैं मिमिक्री कर और चुटकुले सुनाकर तुम्हारा मन बहला सकूँ।

तुम्हें गुलाब बहुत पसंद है लेकिन बाग में गुलाब के फूल तोड़ते समय कभी-कभी तुम्हारे हाथों में काँटा चुभ जाता है और खून निकल आता है मैं अपने हाथों को इसलिए बचाना चाहता हूँ कि जब भी तुम्हें फूल की जरूरत हो मैं खुद अपने हाथों से गुलाब तोड़कर तुम्हारे बालों में लगा सकूँ।

इसलिए मेरी प्रिया, मैं वह पहाड़ वाला गुलाब तोड़ने की भूल कभी नहीं करूँगा। क्योंकि मैं जीना चाहता हूँ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए जीना चाहता हूँ। 'आई लव यू व्हेरी मच।' यह पढ़कर मेरी आँखें भर आईं। आगे लिखा था अगर तुमने पत्र का मजमून पढ़ लिया हो तो दरवाजा खोलना मत भूलना।

तुम्हारा आलोक

मैंने दरवाजा खोला। सामने देखा तो वह अपने दोनों हाथों में दूध की बोतल और ब्रेड के पैकेट लिए खड़े थे। उन्हें मालूम था कि अब तक न तो मैंने कुछ खाया होगा और ना ही कुछ बनाया होगा। अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि वह मुझे बहुत-बहुत प्यार करते हैं और मुझे जिस तरह के हसबैंड की जरूरत थी, उससे कहीं अधिक अच्छे हैं।

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