ग्रहण के समय किए गए जप, यज्ञ, दान आदि का सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक महत्व वर्णित है। ग्रहण का दिव्य पर्वों में भी विशेष स्थान है। मन तथा बुद्धि पर पड़े प्रभाव से लाभ उठाने के लिए जप, ध्यानादि का विधान है।
आइए जानते हैं ग्रहण काल के समय किन बातों को विशेष सावधानी रखना आवश्यक है तथा ग्रहण के बाद किन नियमों का पालन जरूरी है।
ग्रहण में विशेष सावधानी :
* ग्रहण काल में वस्त्र न फाड़ें, कैंची का प्रयोग न करें, घास, लकड़ी एवं फूलों को न तोड़ें।
* बालों व कपड़ों को नहीं निचोड़ें।
* दातून न करें।
* कठोर व कड़वे वचन (बोल) न बोलें।
* घोड़ा, हाथी की सवारी न करें।
* गाय, बकरी एवं भैंस का दूध दोहन न करें,
* शयन व यात्रा न करें।
* यदि तीर्थ स्थान का जल न हो तो किसी पात्र में जल लेकर तीर्थों का आवाहन करके सिर सहित स्नान करें, स्नान के बाद बालों को न निचोड़ें।
ग्रहण के बाद के नियम :
* ग्रहण के मोक्ष के बाद तीर्थ में गंगा, जमना, रेवा (नर्मदा), कावेरी, सरजू अर्थात किसी पवित्र नदी, तालाब, बावड़ी इत्यादि में स्नान करना चाहिए।
* यदि यह संभव न हो तो घर के जल में तीर्थ जल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात देव-पूजन करके, दान-पुण्य करें व ताजा भोजन करें।
* ग्रहण या सूतक के पहले बनी वस्तुओं में तुलसी दल या कुशा डालकर रखना चाहिए।