Madhya Pradesh Assembly elections 1977: जून 1975 को श्रीमती गांधी द्वारा देश में लागू किए गए आपातकाल का प्रभाव वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव पर साफ नजर आया। जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी प्रमुख विपक्ष की दल एकजुट हो गए। सयुक्त विपक्ष की नई पार्टी जनता पार्टी का गठन किया गया। इसका चुनाव चिह्न जिसका चुनाव चिन्ह हलधर किसान था।
सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लड़े। राज्य विधानसभा में 320 सीटों के लिए मतदान हुआ। परिसीमन के पश्चात प्रदेश में सीटों में वृद्धि हो गई थी। जनता पार्टी की आंधी में कई दिग्गज चुनाव में हार गए आजादी के बाद पहली बार विपक्षी दल की सरकार सत्ता में काबिज हुई। इस चुनाव में जनता पार्टी को सर्वाधिक 47.28% वोट मिले, जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 35.88 फीसदी वोट मिले। निर्दलीय प्रत्याशियों को 15.35% और 5 उम्मीदवार जीतने में भी सफल रहे थे।
इस चुनाव में जनता पार्टी 230, कांग्रेस 84, निर्दलीय उम्मीदवार 5 सीटों पर विजयी हुए, जबकि अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का भी एक उम्मीदवार विजयी हुआ था। 24 जून 1977 को कैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि जोशी मुश्किल से 6 माह का कार्यकाल पूरा कर पाए। उनके बाद जनवरी 1978 को वीरेंद्र कुमार सकलेचा मुख्यमंत्री बनाया।
मुख्यमंत्री बदलने का सिलसिला यहीं नहीं थमा। दो साल बाद जनवरी 1980 में सुंदरलाल पटवा को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस तरह जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री का कार्यकाल देखा। प्रदेश में 30 अप्रैल 1977 से 23 जून 1977 तक राष्ट्रपति शासन रहा था।