भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकारों की मुफ्त के रेवढ़ी बांटने के कल्चर पर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नजर टेढ़ी कर दी है। मध्यप्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की तरफ से चुनाव से पहले की जा रही घोषणाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों, केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की घोषणाओं पर पहले से लंबित याचिका के साथ इस मामले को भी जोड़ा दिया।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता भट्टूलाल जैन ने अपनी याचिका में कहा था कि चुनावी लाभ के लिए बनाई जा रही योजनाओं से आखिरकार आम लोगों पर ही बोझ पड़ता है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के लिए ऐसी योजनाओं का ऐलान किया जा रहा है, जिसमें उन्हें कैश दिया जाएगा. इसे 'फ्रीबिज' भी कहा जा रहा है।
सुप्रीम की ओर से मुफ्त की रेवड़ी पर नोटिस जारी करने से जहां यह मुद्दा सियासी चर्चा के केंद्र में आ गया है। वहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोट के लिए मुफ्त में सुविधाएं बांटने के बढ़ते कल्चर पर राज्य सरकारों को चेताया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि मुफ्त का यह कल्चर आपके वर्तमान को खत्म करके भविष्य को अंधेरे में धकेल देगा। जो लोग मुफ्त की सुविधाएं बांटने का ऐलान करते हैं, वे बुनियादी ढांचा बनाने और देश के भविष्य को संवारने में कोई योगदान नहीं देते। वहीं मध्यप्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा प्रदेश सरकार के बार-बार कर्ज के सवाल पर कहते हैं कि भाजपा सरकार विकास के लिए कर्ज लेती है।
मध्यप्रदेश में मुफ्त पर टिकी पूरी सियासत- सुप्रीम कोर्ट की ओर से रेवढ़ी कल्चर पर मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी करने से पूरा मामला गर्मा गया है। दरअसल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस जनता को रिझाने के लिए मुफ्त का दांव खेलने के साथ एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी मची हुई है।
शिवराज सरकार जमकर बांट रही रेवड़ी- मध्यप्रदेश में पांचवी बार सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा सरकार जमकर मुफ्त की रेवड़ी बांट रही है। भाजपा सरकार ने चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना लाकर महिलाओं को प्रतिमाह 1250 रुपए देने के साथ इसको 3 हजार रुपए तक बढ़ाने का एलान कर दिया है। वहीं लाड़ली बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर भी शिवराज सरकार दे रही है, जिसमें महिलाओं के खाते में सब्सिडी के तौर पर सीधे 500 रुपए दिए जा रहे है। वहीं भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले बढ़े हुए बिजली नहीं वसूलने का भी एलान कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की गरीब महिलाओं का बिजली बिल 100 रुपए महीना करने का एलान कर दिया है।
कांग्रेस भी मुफ्त के दांव के भरोसे- सूबे में सत्ता की वापसी में जुटी कांग्रेस की चुनावी दांव में जिन 11 वचनों को शामिल किया गया है उसमें जमकर रेवड़ी बांटने का वादा किया गया है। चुनाव में महिला वोटर्स की बड़ी भूमिका को देखते हुए कांग्रेस अपने वचन पत्र में प्रदेश में आधी आबादी यानि महिलाओं के वोट बैंक को साधने के लिए कई मुफ्त के दावे कर ही है। इसमें सत्ता में आने पर महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने देने के साथ 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा प्रमुख है। इसके साथ सत्ता में आने पर बेरोजगारी भत्ता देने का दावा भी प्रमुख है।
मध्यप्रदेश पर बढ़ता कर्ज- चुनाव में सरकार जहां जमकर मुफ्त की रेवड़ी बांट रही है। वहीं प्रदेश की आर्थिक हालत भी सवालों के घेरे में है। मध्यप्रदेश में वर्तमान में सरकार 3 लाख 85 हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है। वहीं चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतराने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरुरत पड़ेगी। जो कि जीएसडीपी का 28 प्रतिशत है। वहीं प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर आज 50 हजार रूपए का कर्जा है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 3.14 लाख करोड़ का बजट पेश किया।