भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में भाजपा के बड़े नेताओं के अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है। संगठन के बड़े नेताओं की ताकीद के बाद भी पार्टी के बड़े नेताओं के बीच जुबानी जंग हर नए दिन के साथ तेज होती जा रही है।
विंध्य में सांसद और विधायक आमने-सामने?- बुंदेलखंड के सागर में आने वाले सरकार के बड़े मंत्रियों के बीच तकरार अभी थमी नहीं थी कि सतना में भाजपा विधायक और सांसद के बीच कलह और आपसी मनमुटाव अब खुलकर सामने आ गया है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और सतना सांसद गणेश सिंह के बीच एक दूसरे को देख लेने की खुलकर चेतावनी दी।
भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के सांसद गणेश सिंह को राक्षस बताते हुए मैहर में घुसने नहीं देने की चेतावनी दे दी। नारायण त्रिपाठी ने गणेश सिंह को राजनीतिक प्रोटोकॉल का पालन करने और घमंड छोड़ने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि ऐसे ही राक्षसों के लिए मैं राजनीति में आया हूं। मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे और सुधार न हुआ तो सांसद का मैहर में प्रवेश बंद कर देंगे।
दरअसल भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और सांसद गणेश सिंह के बीच आपसी वर्चस्व की जंग लंबे समय से चल रही है। ऐसे में जब नारायण त्रिपाठी के जन्मदिन पर मैहर के सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर के लोर्कापण के मुद्दें पर दोनों ही नेता आमने सामने आ गए। वहीं नारायण त्रिपाठी की खुली चुनौती के बाद सोमवार को भाजपा सांसद गणेश सिंहं ने कहा कि कुल लोगों को भौंकने की आदत होती है और वह भौंकते रहते है। इतना ही नहीं सांसद गणेश सिंह ने सोमवार को मैहर में कार्यक्रम में कई कार्यक्रममों में शामिल हुए।
बुंदेलखंड में बड़े नेताओं के बीच टकराव-विंध्य में पार्टी के सांसद और विधायक के बीच सीधे टकराव से पहले बुंदेलखंड में सरकार के बड़े मंत्री ही आमने-सामने आ चुके है। बुंदेलखंड संभाग में भाजपा के बड़े नेताओं के बीच टकराव इस कदर बढ़ गया कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दखल देना पड़ा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर से आने वाले तीनों मंत्रियों को भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और गोपाल भार्गव के साथ भाजपा विधायक प्रदीप लारिया और शैलेंद्र जैन को बुलाया और आपसी विवाद खत्म करने की समझाइश दी। मुख्यमंत्री ने चुनाव का हवाला देने के साथ विवाद के चलते सरकार और संगठन की छवि को नुकसान पहुंचने का हवाला देते हुए आपसी मतभेद को खत्म करने की समझाइश देते हुए अर्नगल बयानबाजी नहीं करने की दो टूक चेतावनी दी।
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दखल के बाद बड़े नेताओं के बीच टकराव कम नहीं हुआ। पिछले सागर को लेकर बुलाई गई भाजपा नेताओं की बैठक में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने नहीं पहुंचकर अपने इरादे बिल्कुल साफ कर दिए।
महाकौशल में पार्टी के नेताओं की बगावत-बुंदेलखंड और विंध्य के अलावा महाकौशल में भाजपा चुनावी साल में कई चुनौती से जूझ रही है। कटनी से भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा से इस्तीफा देने से पहले ध्रुव प्रताप सिंह ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। भाजपा से इस्तीफा देने वाले विजयराघव गढ़ से भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने कहा वह अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महूसस कर रहे थे इसलिए उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है।
वहीं कटनी के साथ महाकौशल के जबलपुर से आने वाले पूर्व विधायक हरजीत सिंह बब्बू ने भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे हलांकि बाद में वह अपनी बात से पलट गए थे और पार्टी के साथ होने की बात कही थी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने संगठन पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी ही छोड़ दी है।
अंतर्कलह को काबू करने में नाकाम संगठन- चुनावी में भाजपा में अंतर्कलह को थामने में संगठन पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है। चुनाव से पहले भाजपा में बड़े नेताओं की नाराजगी और बयानबाजी से पार्टी के लिए चुनौती बनती जा रही है। मंत्रियों के साथ सांसद और विधायकों की खुलकर एक दूसरे को चुनौती देने से भाजपा का अनुशासन तार-तार हो गया है।
पिछले दिनों भाजपा संगठन ने पार्टी के अंदर की अंतर्कलह को थामने के लिए पार्टी के नेताओं को बयानबाजी नहीं करने की चेतावनी दी लेकिन उसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। पार्टी अनुशासन के नाम पर केवल कुछ छोटे नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश करती हो लेकिन बड़े नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से कई सवाल खड़े हो रहे है।