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मध्यप्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक से ज्योतिरादित्य सिंधिया गैरहाजिर, बैठक मेें विधानसभा चुनाव को लेकर होंगे बड़े फैसले

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 19 मई 2023 (12:37 IST)
Madhya Pradesh Political News: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद अब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Election 2023) को लेकर भाजपा एक्टिव मोड में आ गई है। आज भोपाल में प्रदेश भाजपा मुख्यालय में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति (Bjp Pradesh karyasamiti Baithak) की बैठक हो रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद महत्वपूर्ण मानी जाने वाली भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हो रहे है। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हो रहे है।

बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले हो सकते है। वहीं भाजपा कार्यसमिति की बैठक में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की गैरहाजिर काफी चर्चा के केंद्र में है। चुनाव को लेकर बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाली बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया का शामिल नहीं होने के बाद कई तरह के अटकलें लगाई जा रही है। भाजपा से जुड़े नेता सिंधिया के बैठक में नहीं शामिल होने का कारण उनकी व्यस्तता को बताते है।
 
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जिस तरह से दलबदुल नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है उसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ शामिल हुए सिंधिया समर्थक नेताओं की धड़कने बढ़ गई है। मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री बैचेन है। इसकी बड़ी वजह चुनाव सर्वे में इन नेताओं की रिपोर्ट निगेटिव आना है। भाजपा कार्यसमिति की बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नहीं शामिल होने को उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स से भी जोड़कर देखा जा रहा है। 
 
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उपचुनाव में हारे नेताओं के टिकट पर संशय-विधानसभा चुनाव में इस बार सिंधिया समर्थक उन नेताओं का भविष्य सबसे ज्यादा खतरे में दिखाई दे रहा है जो उपचुनाव हार गए। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए 22 विधायकों में कई को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा  था। सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों में से डबरा से इमरती देवी, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया, सुमावली से एंदल सिंह कंसाना मंत्री रहते हुए चुनाव हार गए थे। इसके साथ ही ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, मुरैना से रघुराज सिंह कंषाना, गोहद से रणवीर जाटव, करैरा से जसमंत जाटव भी चुनाव हार गए थे। उपचुनाव में हार का सामना करने वाले यह सभी सिंधिया समर्थक एक बार टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उपचुनाव में हार का सामना करने वाले इन नेताओं को पार्टी दोबारा मौका देगी।

विवादों में सिधिंया समर्थक मंत्री- चाल-चरित्र और चेहरे की राजनीति करने वाली भाजपा की  मध्यप्रदेश सरकार मे सिंधिया समर्थक मंत्री लगातार विवादों में रहते है। सिंधिया के कट्टर समर्थक और शिवराज सरकार में परिवहन और राजस्व जैसे अहम विभाग संभालने वाले मंत्री गोविंद सिंह राजपूत लगातार विवादों में घिरे हुए है। सागर जिले के रहने वाले मान सिंह पटेल के गुमशुदा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार और गोविंद सिंह राजपूत से जवाब मांगा है। कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर सागर के रहने वाले मान सिंह पटेल की जमीन पर कब्जा करने का बड़ा आरोप लगा है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के कब्जे वाले जमीन को लेकर मान सिंह पटेल ने 2016 में सिटी मजिस्ट्रेट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और संबंधित थाने में नाम दर्ज शिकायत दर्ज कराई थी। साथ ही यह भी आशंका भी जताई थी कि उसकी जान को मंत्री गोविंद राजपूत से खतरा है। मान सिंह पटेल की शिकायत पर आईपीसी की धारा 145 में प्रकरण रजिस्टर्ड होकर काफी सुनवाई भी चली थी, लेकिन मानसिंह पटेल के लापता होने के बाद प्रकरण को बंद कर दिया गया। अब यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

वहीं पिछले दिनों सिंधिया समर्थक कैबिनेट मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव को लेकर एक महिला का वीडियो वायरल हुआ जो काफी विवादों में रहा था। इसके साथ ही सिंधिया समर्थक अन्य मंत्री प्रद्युम्मन सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसौदिया लगातार अपने बयानों से सुर्खियों में बने हुए रहते है।

भाजपा में अंदरखाने सिंधिया का विरोध!-वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर ग्वालियर-चंबल की भाजपा नई और पुरानी भाजपा में बंट गई है और आए दिन दोनों ही खेमे आमने सामने दिखाई देते है। बात चाहे पंचायत चुनाव की हो या नगरीय निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के चयन की नई भाजपा और पुरानी भाजपा के नेताओं में टकराव साफ देखा गया था। ग्वालियर नगर निगम के महापौर में भाजपा उम्मीदवार के टिकट को फाइनल करने को लेकर ग्वालियर से लेकर भोपाल तक और भोपाल से लेकर दिल्ली तक जोर अजमाइश देखी गई थी और सबसे आखिरी दौर में टिकट फाइनल हो पाया था। ग्वालियर नगर निगम में महापौर चुनाव में 57 साल बाद भाजपा की हार को भी नई और पुरानी भाजपा की खेमेबाजी का परिणाम बताया जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा की महापौर उम्मीदवार को सिंधिया खेमे के मंत्री के क्षेत्र से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

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