मंगलवार दोपहर तक किसी को अंदाजा नहीं था कि नवनिर्वाचित विधायकों के फोटो सेशन में पीछे की एक कतार में कोने की तरफ खड़ा व्यक्ति कुछ ही मिनट बाद राज्य की राजनीति के केंद्र में होगा। राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कहानी कुछ ऐसी ही रही। भरतपुर के एक ग्राम पंचायत के सरपंच रहे शर्मा राजस्थान के आगामी मुख्यमंत्री होंगे।
आपको यह जानकार भी आश्चर्य होगा कि वे भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। भजनलाल शर्मा 2003 में नदबई विधानसभा सीट से सामाजिक न्याय मंच के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए और उन्हें केवल 6000 मत ही मिले और जमानत जब्त हो गई थी। इसमें भाजपा उम्मीदवार भी उनके सामने।
मुनीमी से शुरुआत : शर्मा का जन्म भरतपुर जिले की नदबई तहसील के अटारी गांव में 15 दिसंबर 1968 को हुआ। स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त शर्मा शुरू में भरतपुर में एक ठेकेदार के वहां मुनीम का काम करते थे।
हाल ही के विधानसभा चुनाव में बहुमत पाने वाली भाजपा विधायक दल की मंगलवार को यहां पार्टी कार्यालय में बैठक हुई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधायक दल के नेता के रूप में शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे विधायक दल ने स्वीकार कर लिया। इस तरह से पहली बार विधायक चुने गए भजनलाल शर्मा सामान्य विधायक से राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री हो गए।
पार्टी के प्रदेश महामंत्री शर्मा सुर्खियों से दूर रहकर काम करने के लिए जाने जाते हैं। शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं और 1992 में श्रीराम जन्मभूमि भूमि आंदोलन के दौरान जेल भी जा चुके हैं।
शर्मा के आधिकारिक जीवन परिचय के अनुसार 34 साल के सक्रिय राजनीतिक करियर के दौरान उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर विभिन्न पदों पर कार्य किया है। 54 वर्षीय शर्मा को समर्पित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में देखा जाता है और वे सुर्खियों से दूर रहना पसंद करते हैं।
शर्मा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई भरतपुर जिले के अटारी गांव और नदबई कस्बे में पूरी की। इसके बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हो गए और नदबई व भरतपुर इलाके में सामाजिक मुद्दों पर काम करते रहे।
शर्मा ने 1990 में एबीवीपी के कश्मीर मार्च में सक्रिय रूप से भाग लिया और 100 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ उधमपुर तक मार्च कर गिरफ्तारी दी। इसके अनुसार 1992 में श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान वे जेल गए।
1991-92 के दौरान उन्हें भाजयुमो में जिम्मेदारी मिली और उनके राजनीतिक करियर ने नयी रफ्तार पकड़ी। वह पहली बार 27 साल की उम्र में सरपंच चुने गए थे। वह 2 बार सरपंच और एक बार पंचायत समिति सदस्य चुने गये।
वे भाजपा के भरतपुर जिला सचिव और जिला अध्यक्ष बनने से पहले तीन बार भाजयुमो जिला अध्यक्ष रहे। अपने गृह नगर भरतपुर को छोड़कर, शर्मा ने जयपुर मुख्यालय में प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया और वर्तमान में पार्टी के प्रदेश महामंत्री हैं।
क्या है पढ़ाई : शर्मा के पास राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री है और उनका व्यवसाय कृषि और खनिज आपूर्ति है। शर्मा वर्ष 2016 से अब तक भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे। भाजपा ने सोलहवीं विधानसभा चुनाव में पार्टी विधायक अशोक लाहोटी का टिकट काटकर शर्मा को सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेन्द्र भारद्वाज को 48 हजार से अधिक मतों से चुनाव हराया। एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma