साल 2924 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए इन राज्यों के परिणामों को एक तरह से सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। रविवार को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के साथ दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य के चुनावी नतीजे आ रहे हैं। सभी हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। हालांकि मिजोरम के चुनाव परिणाम 4 दिसंबर को आएंगे।
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावी रण में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है। ऐसे में अब सवाल यह है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भाजपा की इस जीत का क्या असर होगा और इसके साथ ही इंडिया गठबंधन की स्थिति होगी।
कैसे होगा लोकसभा पर असर : बता दें कि मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें, राजस्थान में 25 सीटें, छत्तीसगढ़ में 11 सीटें, तेलंगाना में 17 सीटें और मिजोरम में एक सीट है। इन सीटों को जोड़ दिया जाए तो इनका योग 83 हो जाता है। इन राज्यों में जिस भी पार्टी की सरकार बनती है तो वो लोकसभा चुनाव की सीटों पर जीत को लेकर भी आश्वस्त रहेगी।
क्या होगा इंडिया गठबंधन का : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद विपक्ष के गठबंधन आईएनडीआईए (इंडिया) का भविष्य भी अंधेरे में नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने गठबंधन न होने के कारण 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी सीट पर समाजवादी पार्टी कब्जा नहीं कर पाई। वहीं बसपा का तीनों राज्यों में वोट प्रतिशत सपा से बेहतर नजर आया।
अब आईएनडीआईए गंठबंधन भाजपा के रचे इस इस चक्रव्यूह को 2024 के लोकसभा चुनाव में कैसे भेद पाएगा ये देखना दिलचस्प होगा। यूपी की 80 सीटों को जीतने का दावा करने वाली सपा और कांग्रेस को तीन राज्यों में भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में विपक्ष का गठबंधन भाजपा के सामने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सीटों का बंटवारा करने के लिए क्या रणनीति बनाएगा यह भी भविष्य में ही तय होगा।
क्या है कांग्रेस की मुश्किलें : लोकसभा चुनाव को लेकर I.N.D.I.A. में हिस्सेदारी के मुद्दे पर जब क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस पर दबाव बढ़ना शुरू हुआ तो कांग्रेस ने उस मोर्चे पर खुद को 'बाहर' कर लिया और सारा ध्यान पांच राज्यों के चुनाव पर केंद्रित कर लिया। इस बात से इंडिया के कई नेताओं ने नाराजगी भी दिखाई। लेकिन कांग्रेस के लिए यह करना जरूरी था, क्योंकि यूपी, बिहार, बंगाल और तमिलनाडु चार राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस खुद में कोई ताकत नहीं है। ऐसे में इन राज्यों के उम्मीदवार खुद को 'ड्राइविंग सीट' यानी आगे रखना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि सीटों के बटवारे में कांग्रेस की कोई दखलअंदाजी हो। ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
Edited by Navin rangiyal