संविधान निर्माता व दलितों के मसीहा डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की 118वीं जयंती पर काली पल्टन (महू) स्थित उनकी जन्मस्थली मानो तीर्थस्थली में तब्दील हो गई। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से वर्षों बाद समारोह स्थल पर कोई भाषणबाजी नहीं हुई।
बाबा के प्रति श्रृद्धासुमन अर्पित करने के लिए देश के कोने-कोने से हजारों अनुयायी आए और सुबह निकली अस्थि कलश यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान 'जय भीम' और 'बाबा साहेब अमर रहे' के गगनभेदी नारे से समूचा वातावरण गूँजायमान हो उठा।
काली पल्टन से निकली भव्य अस्थि कलश यात्रा शहरभर में घूमी। आगे-आगे समता बैंड तथा पुरुष व महिलाओं का सैनिक दल अनुशासित ढंग से चल रहा था। बाबा साहेब के अस्थि कलश को एक सुसज्जित बग्घी पर रखा गया था, वहीं अन्य बग्घियों में बौद्ध भिक्षु सवार थे। उनके पीछे एक वाहन पर डीजे साउंड सिस्टम चल रहा था। इसमें बाबा साहेब के गीतों व भजनों पर युवा थिरकते चल रहे थे।
महाराष्ट्र से आए अनुयायियों ने यात्रा को जैसे महाराष्ट्रमय बना दिया। आसपास लगी दुकानों में भी महाराष्ट्र से जुड़ी सामग्रियों की ही बिक्री सबसे ज्यादा हुई। एक विशाल पांडाल में शासन द्वारा रखी गई भोजन व्यवस्था में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। एक दिन पूर्व से ही भोजन बनाने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह 8 बजे से भोजन वितरण प्रारंभ किया गया।
स्मारक के समीप ही प्रतिमा पर माल्यार्पण करने वालों का दिनभर ताँता लगा। सुबह 10 बजे क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर संसदीय क्षेत्र की भाजपा प्रत्याशी सुमित्रा महाजन, धार-महू लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी मुकामसिंह किराड़े, भाजपा अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण जटिया, वरिष्ठ भाजपा नेता कृष्णमुरारी मोघे, जिला भाजपा अध्यक्ष डॉ. रीता उपमन्यु, महू केंट बोर्ड के उपाध्यक्ष कैलाशदत्त पांडेय आदि ने माल्यार्पण किया।