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पुलिस अफसर के नाम कीर्तिमान

150 छर्रों को तमगा मान फर्ज पर अडिग

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इंदौर (भाषा) , मंगलवार, 28 अप्रैल 2009 (15:48 IST)
मध्यप्रदेश पुलिस के एक जाँबाज अफसर का नाम मरणोपरांत लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। हरजीत सिंह सूदन नाम के यह जुझारू पुलिस निरीक्षक शरीर में 150 छर्रे धँसे होने के बावजूद बीस साल तक अपने फर्ज को अंजाम देते रहे।

ये छर्रे सूदन को डाकुओं से हुई भिड़ंत के दौरान लगे थे और उन्होंने जब पिछले साल दंगों में ड्यूटी के दौरान आखिरी साँस ली तब भी ये छर्रे उनके शरीर में ही थे। कर्तव्य पथ पर अडिग रहने की उनकी इस अदम्य इच्छाशक्ति को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में राष्ट्रीय कीर्तिमान के रूप में जगह दी गई है।

सूदन के बेटे गुरविंदर सिंह यह जानकारी देते हुए भावुक हो जाते हैं। उन्होंने बताया उनकी मौत छह महीने पहले हुई। जब हमें हाल ही में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से प्रमाण पत्र मिला तो बहुत गर्व हुआ लेकिन मन में यह टीस भी उठी कि काश यह कीर्तिमान जीते जी उनके नाम हो जाता।

गुरविंदर याद करते हैं कि उनके पिता वर्ष 1989 के दौरान मंदसौर जिले में तैनात थे। एक दिन उन्हें खबर मिली थी कि पास के एक गाँव में डकैतों के गिरोह ने धावा बोल दिया है।

सूदन फौरन मौके पर जा पहुँचे और डकैतों से मुकाबला करने लगे थे। डकैत तो गिरफ्तार कर लिए गए थे लेकिन उनसे भिड़ंत के दौरान पुलिस अफसर को करीब 180 छर्रे लग गए थे।

गुरविंदर ने बताया उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था मगर उनके शरीर से केवल तीस छर्रे निकाले जा सके थे। डॉक्टरों के मुताबिक शेष 150 छर्रे निकालने से उनकी जान को खतरा हो सकता था।

उन्होंने बताया कि इस खतरे के मद्देनजर 150 छर्रे ताउम्र उनके पिता के तन में धँसे रहे लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य से कभी मुँह नहीं मोड़ा। सूदन की बुरहानपुर में 20 अक्टूबर 2008 को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जब वे दंगाइयों पर काबू पाने के लिए वहाँ तैनात थे।

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