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विवाद से बदला नाम

मध्याह्न भोजन पूर्व प्रार्थना जरूरी

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भोपाल , सोमवार, 14 सितम्बर 2009 (11:16 IST)
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के करीब एक करोड़ बच्चे अब प्रार्थना के बाद ही मध्याह्न भोजन ग्रहण कर सकेंगे। राज्य शासन ने 9 सितंबर को आदेश जारी कर यह योजना सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में लागू कर दी है।

भोजन मंत्र पर उठे विवाद के बाद सरकार ने इसे भोजन-प्रार्थना के नाम से लागू किया है। साथ ही जिलों से भोजन-प्रार्थना करने और न करने वाले स्कूलों की सूचियाँ माँगी गई हैं। हालाँकि इसका विरोध शुरू हो गया है।

सरकार के राष्ट्र-ऋषि, सूर्य नमस्कार और भोजन-मंत्र को लेकर उठे विवादों के बीच सरकार ने भोजन-मंत्र को भोजन-प्रार्थना का नाम देकर लागू कर दिया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन के पहले प्रार्थना के आदेश दिए हैं।

राज्य शिक्षा केंद्र ने इसके क्रियान्वयन की मानीटरिंग भी शुरू कर दी है। आदेश में यह उल्लेख नहीं है कि भोजन प्रार्थना अनिवार्य रहेगी या स्वैच्छिक। इसलिए जिला स्तर पर सभी स्कूलों को इसे लागू करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। स्कूलों में भोजन-प्रार्थना लागू होने के विरुद्घ आवाज उठना शुरू हो गई है। जिन स्कूलों में मुस्लिम या दूसरे वर्गों के बच्चे पढ़ते हैं, वहाँ भी असंमजस की स्थिति बनी हुई है।

ये है विवाद :
सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण के आरोप लगे हैं । सूर्य नमस्कार को जबलपुर हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक रखने के आदेश दिए हैं। वहीं राष्ट्र-ऋषि योजना में भी सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं। भोजन-मंत्र को भी अब भोजन-प्रार्थना कहा जा रहा है। आदेशों में इसे स्वैच्छिक रखने का उल्लेख नहीं है।- नईदुनिया

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